Bihar Famous Sweets: बेहद प्रसिद्ध है बिहार के इस जिले का तिलकुट, अनोखी सुगंध और स्वाद के लिए है मशहूर

Bihar Famous Sweets: बिहार के गया जिले का तिलकुट पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. सर्दियों से पहले यहां की गलियों से आपको तिलकुट की महक मिलने लगती है. तिलकुट बनाने की शुरुआत गया की धरती से ही हुई थी.

By Abhinandan Pandey | December 17, 2024 2:54 PM
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Bihar Famous Sweets: बिहार के गया जिले का तिलकुट पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. सर्दियों से पहले यहां की गलियों से आपको तिलकुट की महक मिलने लगती है. मकर संक्रांति के दिन सभी लोगों के भोजन में चूड़ा-दही के साथ तिलकुट जरूर शामिल होता है. इस दिन तिलकुट खाना अनिवार्य होता है. गया का तिलकुट प्रमुख मिष्ठान के रूप में देश-विदेश में प्रसिद्ध है. मकर संक्रांति के एक महीने पहले से ही गया की गलियों में तिलकुट की सोंधी महक और तिल कूटने की धम-धम की आवाज लोगों के जेहन में मकर संक्रांति की याद दिलाती है.

गया की धरती से हुई थी तिलकुट बनाने की शुरुआत

तिलकुट बनाने की शुरुआत गया की धरती से हुई थी. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन तिल की वस्तु दान देना और खाने से पुण्य मिलता है. मकर संक्रांति के एक-डेढ़ महीने पहले से ही गया की गलियों और मोहल्लों में तिलकुट बनाने का काम शुरू हो जाता है. गया में हाथ से कूटे जाने वाले तिलकुट ना केवल खास्ता होते हैं, बल्कि खाने में भी इसका स्वाद दूसरे जगहों की तुलना में स्वादिष्ट और सोंधा होता है.

जिले का रमना रोड तिलकुट निर्माण के लिए है प्रसिद्ध

गया जिले का रमना रोड तिलकुट निर्माण के लिए बहुत प्रसिद्ध है. अब टेकारी रोड, कोयरी बारी, स्टेशन रोड, डेल्हा सहित कई इलाकों में कारीगर भी हाथ से कूटकर तिलकुट का निर्माण करते हैं. गया में कम से कम 200 से 250 घरों में तिलकुट कूटने का काम चलता है.

यहां की महिलाएं भी इस व्यवसाय में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. खस्ता तिलकुट के लिए प्रसिद्ध गया का तिलकुट झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है. अब गया के तिलकुट की डिमांड विदेशों में भी होने लगी है. क्योंकि विदेशों से बोधगया आने वाले पर्यटक अपने साथ यहां का प्रसिद्ध तिलकुट जरूर लेकर जाते हैं.

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गया में कैसे तैयार किया जाता है तिलकुट

कारीगर ने बताया कि सबसे पहले चीनी और पानी को कढ़ाई में रखकर गर्म किया जाता है. फिर इसका घानी तैयार किया जाता है. उसके बाद चीनी के घोल को चिकने पत्थर पर रखा जाता है. ठंडा होने के बाद इसको पट्टी पर चढ़ाया जाता है. उसके बाद इसे तिल के साथ गरम कढ़ाई में भूना जाता है. फिर छोटे-छोटे लोई बनाकर इसे हाथों से कूटा जाता है. तिलकुट कूटने के बाद उसे सूखने के लिए रखा जाता है ताकि वह खास्ता हो जाए.

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