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Bihar News: गया में बायो वेस्ट से जख्मी हो रहे निगमकर्मी, निजी अस्पताल नहीं दिख रहे संक्रमित कचरा प्रबंधन के प्रति गंभीर

Bihar News: बायो वेस्ट निगम के कचरे के साथ सड़क किनारे फेंके जा रहे है. जिसके कारण निगमकर्मी गंभीर बीमारी के शिकार हो सकते हैं.

By Radheshyam Kushwaha | September 24, 2024 6:30 AM

Bihar News: गया . निजी अस्पतालों में बायो वेस्ट मैनेजमेंट (संक्रमित कचरा प्रबंधन) को लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही है. प्राइवेट अस्पतालों की ओर से विभिन्न चौराहों पर निगम के कचरे में बायो वेस्ट को फेंक दिया जाता है. कचरे को उठाते वक्त सिरिंज के निडिल, सुई की शीशी, अन्य कई तरह के वेस्टेज से समय-समय पर निगमकर्मी घायल होते हैं. उनकी ओर से कई बार शिकायत करने के बाद भी इस पर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट अधिनियम 2016 में मेडिकल वेस्ट के निस्तारण का प्रावधान है. इसके तहत अस्पताल व नर्सिंग होम से बायो वेस्ट के निस्तारण के लिए प्रोसेसिंग प्लांट को कचरा देना है.

बायो वेस्ट निगम के कचरे के साथ फेंके जा रहे सड़क किनारे

इसके लिए शहर में चल रहे 600 नर्सिंग होम, क्लीनिक व पैथोलैब में महज 150 ने ही सिनर्जी वेस्ट प्लांट से निबंधन करा रखा है. बाकि, कचरे निगम के चकरा में मिलाकर ही फेंकते हैं. यह पूरी तौर से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश का उल्लंघन है. मेडिकल बायो वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट के मेडिकल प्लांट प्रभारी अनूप कुमार ने बताया कि जिन निजी क्लीनिक व लैब में ऑपरेशन थिएटर चलता है, वहां इटीपी संयंत्र लगाना अनिवार्य है. एक से डेढ़ लाख रुपये में इटीपी संयंत्र लगाया जा सकता है. इस तरह का संयंत्र नहीं लगाने पर कचरे की प्रोसेसिंग के लिए प्लांट से निबंधन कराना जरूरी है. जानकारों का कहना है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इटीपी और मेडिकल कचरा निस्तारण का सख्त निर्देश दिया है. इसके तहत जुर्माना के साथ संस्थान बंद करने का भी प्रावधान है.

निगम की ओर से सिर्फ एक बार फाइन

कुछ वर्ष पहले हॉस्पिटल की ओर से बायो वेस्ट रोड किनारे निगम के कचरा प्वाइंट पर डालने को लेकर अब तक एक बार ही फाइन किया गया है. निगम से मिली जानकारी के अनुसार, चांदचौरा के एक प्राइवेट हॉस्पिटल की ओर से बायो वेस्ट निगम के कचरे में फेंकने की सूचना पर उस वक्त के नगर आयुक्त सावन कुमार तत्काल पहुंच कर एक लाख रुपये फाइन किये थे. हालांकि, बाद में वह पैसा जमा भी नहीं कराया गया और हॉस्पिटल ही बंद कर दिया गया. निगम सूत्रों का कहना है कि वार्ड नंबर 32 की सफाई की निगरानी कर रहे निगमकर्मी बायो वेस्ट से परेशान हुए, तो खुद ही अस्पताल में जाकर इसका विरोध किये. इसके बाद भी अस्पताल की ओर से बायो वेस्ट फेंकना बंद नहीं किया गया, तो खुद ही अपनी ओर से अस्पताल पर केस करा दिये. इसके बाद वार्ड में लगभग हॉस्पिटल रोड किनारे बायो वेस्ट फेंकना बंद कर दिया है.

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क्या कहते हैं अधिकारी

सहायक लोक स्वच्छता पदाधिकारी मोनू कुमार ने बताया कि निगम का काम है कि अपने कर्मचारियों को सुरक्षित रखते हुए शहर को स्वच्छ व कचरा मुक्त रखा जाये. बायो वेस्ट कचरा में फेंकने से कई बार कर्मचारी घायल होते हैं. संबंधित अस्पतालों को हर हाल में निगम के सामान्य कचरे के ढेर में बयो वेस्ट कचरा फेंकना बंद करना होगा. उन्होंने बताया कि बायो वेस्ट को बायो वेस्ट के निस्तारण के लिए प्रोसेसिंग प्लांट को कचरा देना है. शहर को सुंदर रखने में सभी का सहयोग जरूरी है.

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