बोधगया : महात्मा बुद्ध की ज्ञान स्थली विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर में गुरुवार को बुद्ध जयंती समारोह का आयोजन किया गया. इसमें बौद्ध भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध से विश्व में शांति स्थापित करने को लेकर कोरोना वायरस से विश्व को मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की.
बौद्ध भिक्षुओं ने पूजा-अर्चना के बाद बौद्ध भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध की आराधना की. मान्यताओं के अनुसार, महात्मा बुद्ध ने किसी जमाने में वैशाली राज्य में फैले प्लेग जैसी महामारी से मुक्ति दिलाने में वैशाली वासियों का सहयोग किया था. इसी उम्मीद को कायम रखते हुए अब कोरोना वायरस के कारण विश्व समुदाय के समक्ष उत्पन्न गंभीर संकट को दूर करने के लिए भिक्षुओं ने एक बार फिर से बुद्ध के शरणागत हुए. साथ ही कामना की कि जल्द ही लोगों को कोरोना वायरस से मुक्ति दिलाएं. महाबोधि मंदिर के मुख्य पुजारी भिक्खू चालिंदा ने पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे शांति संदेश पढ़ा.
शांति संदेश में विश्व समुदाय को कोरोना वायरस से मुक्ति दिलाने की कामना भगवान बुद्ध से की गयी. इससे पहले बोधगया मंदिर प्रबंधन कमेटी के कार्यालय से महाबोधि मंदिर में प्रतिनियुक्त भिक्षुओं ने ही कमेटी के सचिव एन दोरजे के नेतृत्व में एक शोभायात्रा निकाली, जो मंदिर के गर्भगृह तक पहुंची. यहां भगवान बुद्ध को चीवर अर्पित किये गये और उनके चीवर बदले गये. इसके बाद खीर अर्पित किया गया. भगवान बुद्ध को खीर अर्पित करने के बाद वज्रासन पर श्रद्धा पुष्प अर्पित किया गया. साथ ही पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे सोशल डिस्टेन्सिंग का ध्यान रखते हुए बौद्ध भिक्षुओं ने महायान और थेरवाद परंपरा के अनुसार सूतपाठ किया गया.
लॉकडाउन के कारण बुद्ध जयंती के अवसर पर बोधगया नहीं पहुंचनेवाले बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए बीटीएमसी ने फेसबुक लाइव की व्यवस्था की थी. इसके तहत बीटीएमसी कार्यालय से महाबोधि मंदिर तक पहुंचने की लाइव रिकॉर्डिंग की जा रही थी. इसे देश-विदेश से बौद्ध श्रद्धालु जुड़ कर पूजा अर्चना और विश्व शांति की प्रार्थना आदि को देख-सुन रहे थे.
बीटीएमसी कार्यालय से दी गयी जानकारी के मुताबिक सुबह नौ से 10:30 बजे तक 25 हजार से ज्यादा बौद्ध श्रद्धालु फेसबुक लाइव के माध्यम से बुद्ध जयंती समारोह से जुड़े थे. समारोह का समापन शाम को मंदिर परिसर में दीप प्रज्वलन के साथ किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि लॉक डाउन के कारण बोधगया स्थित विभिन्न बौद्ध मठों से भी बौद्ध भिक्षुओं को आमंत्रित नहीं किया गया था और महाबोधि मंदिर के लिए प्रतिनियुक्त बौद्ध भिक्षु ने ही इस पूजा समारोह को आयोजित किया.
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