गया. मगध मेडिकल अस्पताल में सोमवार की सुबह इलाज के दौरान रिमांड होम के बाल कैदी (करीब 16 वर्ष) नंदू कुमार पासवान की मौत हो गयी. वह मुफस्सिल थाना क्षेत्र के गांधी नगर मुहल्ले का रहनेवाला था. इसके विरुद्ध मुफस्सिल थाने में तीन व बुनियादगंज थाने में एक केस दर्ज था. वह विगत पांच मार्च से रिमांड होम में था. 13 जुलाई को रिमांड होम में तबीयत बिगड़ने के बाद मगध मेडिकल अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. सोमवार की सुबह-सुबह उसकी मौत की खबर सुनते ही उसके भाई चंदू पासवान सहित दर्जनों परिजन मगध मेडिकल अस्पताल पहुंचे और प्रशासनिक महकमे पर अंगुली उठाते हुए उच्चस्तरीय जांच और पीड़ित परिजनों को मुआवजा देने की मांग की. हालांकि, घटना की जानकारी पाते ही वहां मगध मेडिकल थाने की पुलिस व रिमांड होम के अधिकारी पहुंचे और पीड़ित परिजनों को समझा कर शांत कराया और शव के पोस्टमार्टम को लेकर भेज दिया. इधर, रिमांड होम के बाल कैदी की मौत की सूचना मिलते ही डीएम डॉ त्यागराजन व एसएसपी आशीष भारती एक्टिव हुए. डीएम के आदेश पर मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शव का पोस्टमार्टम हुआ. साथ ही पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी करायी गयी. वहीं, डीएम के आदेश पर इलाज के दौरान बाल कैदी की मौत से संबंधित रिपोर्ट राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग, न्यायिक पदाधिकारी सहित अन्य वरीय पदाधिकारियों को भेजा गया. इस मामले की जांच को लेकर डीएम ने सदर एसडीओ के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया है. मगध मेडिकल अस्पताल में मौजूद परिजनों ने रिमांड होम के पदाधिकारियों व गार्ड सहित मगध मेडिकल अस्पताल के चिकित्सकों व नर्स पर आरोप लगाते हुए कहा कि रविवार की शाम को नंदू कुमार खुद अपने पैरों से चल कर मगध मेडिकल अस्पताल के आइसीयू में भर्ती हुआ था. आखिर रात भर में उसे कौन सी दवा दे दी गयी, जिससे उसकी जान चली गयी. नंदू के इलाज में हर स्तर पर लापरवाही हुई है और उन्हें आशंका है कि इलाज के दौरान उसकी हत्या कर दी गयी है. इस घटना की सीबीआइ जांच हो, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि नंदू की मौत कैसे हुई थी. नंदू कुमार पासवान की तबीयत आठ जुलाई की सुबह भी बिगड़ी, तो रिमांड होम के वरीय अधिकारियों के आदेश पर मगध मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान करीब आठ और बाल कैदियों को भर्ती कराया गया था. नंदू की बिगड़ती तबीयत को देखते हुए उसके परिजनों ने पुलिस अभिरक्षा से जबरन उसे मगध मेडिकल अस्पताल से उठा कर मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अबगिला मुहल्ले में स्थित एकी क्लिनिक में भर्ती कराया था. यह खबर पुलिस के वरीय अधिकारियों को लगी, तो तुरंत कार्रवाई की गयी. तब उसके परिजनों ने पुलिस टीम को बताया कि वह नंदू का इलाज प्राइवेट अस्पताल में करा रहे हैं. एक-दो दिनों में तबीयत ठीक होने पर उसे रिमांड होम पहुंचा दिया जायेगा. मानवतावश पुलिस के वरीय अधिकारी परिजनों की बातों से सहमत हो गये और नंदू व उनके परिजन पर नजर बनाये रखे. 10 जुलाई की शाम तक नंदू की तबीयत ठीक होने पर परिजनों ने उसे रिमांड होम पहुंचा दिया था. 13 जुलाई को रिमांड होम में फिर नंदू की तबीयत बिगड़ी, तो रिमांड होम के पदाधिकारियों के निर्देश पर उसे बेहतर इलाज को लेकर मगध मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन, इलाज के दौरान 15 जुलाई यानी सोमवार की सुबह नंदू की मौत हो गयी. पता चला है कि अगले एक सप्ताह में नंदू को जमानत मिलने की संभावना थी. परिजनों ने बताया कि दूसरी बार 13 जुलाई यानी शनिवार को मगध मेडिकल अस्पताल में भर्ती होने के बाद रविवार को रिमांड होम के अधिकारियों से काफी विनती की गयी कि इसे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने में सहयोग करें, लेकिन रिमांड होम के गार्ड ने एक नहीं सुनी.
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