टैक्स बढ़ाने के मामले में स्थानीय स्तर पर किसी तरह की नहीं होती भूमिका
नगर निगम क्षेत्र में बढ़े टैक्स को लेकर शुरू हुए विरोध के बाद निगम स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य ने गुरुवार को सफाई दी.
गया.
होल्डिंग या फिर नक्शा पास करवाने के टैक्स के विषय में फैसला सरकार के स्तर पर लिया जाता है. स्थानीय स्तर पर टैक्स बढ़ाने में किसी तरह की सहभागिता नहीं होती. पूरे राज्य के नगर निकाय में एक ही तरह का नियम लागू सरकार के निर्देश पर होता है. उक्त बातें बाजार में होल्डिंग टैक्स व नक्शा पास कराने के शुल्क में की गयी बढ़ोतरी को लेकर फैले भ्रम को दूर करने के लिए निगम स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य सह पूर्व डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव ने कही. उन्होंने कहा कि निगम की हर वक्त कोशिश रही है कि शहर को बेहतर बनाते हुए लोगों को आसानी से उचित सुविधाएं उपलब्ध करायी जाये. नक्शा का शुल्क पहले सिर्फ निगम में जमा होता था. विभागीय पत्रांक बीसीडब्ल्यूसी- 134 / 2015 के आलोक में श्रम विभाग के पत्रांक- 138 / 2019 में साफ निर्देश दिया गया है कि नक्शा पास कराने पहुंचने वाले आवेदक के जमीन पर मकान बनाने में 10 लाख रुपये से अधिक का खर्च आता है, तो खर्च को एक प्रतिशत पैसा श्रम विभाग में आवेदक जमा करा कर रसीद लायेंगे. उसके बाद ही नक्शा पास कर दिया जायेगा. इसके बाद यह नियम को लागू किया गया. उन्होंने कहा कि होल्डिंग टैक्स के मामले में सरकार के निर्देश के बाद ही नियम लागू किया गया है. यहां पर अन्य निकायों में यह नियम पहले से ही लागू किया जा चुका था. कई दशक से यहां रोड का वर्गीकरण इस बार सरकार की ओर से फाइनल किया गया. इसमें टैक्स का निर्धारण भी सरकार की ओर से ही किया गया है. इसमें स्थानीय स्तर पर किसी तरह की भूमिका नहीं है. यहां सिर्फ लोगों से कलेक्शन का काम किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है