बिस्कोमान में खाद हुआ समाप्त, किल्लत से किसानों को होगी परेशानी
बिस्कोमान में खाद हुआ समाप्त, किल्लत से किसानों को होगी परेशानी
गया: दाउदनगर प्रखंड के किसानों को मंगलवार से यूरिया खाद की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है. इसका कारण यह है कि यूरिया खाद जितनी मात्रा में दाउदनगर प्रखंड में आवंटित किये गये थे. वह लगभग समाप्त हो चुका है. दाउदनगर के बाजार समिति परिसर स्थित बिस्कोमान कार्यालय में सोमवार को भी यूरिया खाद खरीदने के लिये किसानों की काफी भीड़ लगी दिखी .यहां पांच हजार बोरा यूरिया खाद आवंटित हुआ था, जिसे किसानों के बीच बांटा गया.
एजीएम पूजा कुमारी ने बताया कि सोमवार की शाम होते-होते खाद समाप्त हो गया. बिस्कोमान द्वारा 763 किसानों के बीच यूरिया खाद बांटा गया. सोमवार को भी खाद लेने के लिये किसानों की काफी भीड़ बिस्कोमान कार्यालय के बाहर देखने को मिली .कड़ी धूप की परवाह किये बगैर बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किये ही किसान लाइन में खड़े थे .यहां तक कि महिला किसान भी लाइन में खड़ी दिंखी. वहीं, प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि दाउदनगर प्रखंड में बिस्कोमान, तीन पैक्स और दो स्वावलंबी समूह को खाद का आवंटन प्राप्त हुआ था. आवंटित खाद किसानों के बीच बांटे जा चुके हैं. अब न के बराबर खाद बचा है. प्रतिदिन वितरण का प्रतिवेदन विभागीय स्तर पर भेजा जाता है.
दाउदनगर प्रखंड में किसानों की संख्या लगभग 46 हजार से भी अधिक है, जिसमें 11200 निबंधित किसान हैं. धान की खेती के लिये सभी को यूरिया खाद की आवश्यकता है. स्थानीय स्तर पर कोई भी पदाधिकारी यह बताने को तैयार नहीं है कि खाद का अगला आवंटन कब तक आयेगा. ऐसी परिस्थिति में किसानों को यूरिया खाद के लिये काफी परेशानी झेलनी पड़ सकती है. बिस्कोमान की एजीएम पूजा कुमारी ने कहा कि सितंबर महीने में रेक आने की सूचना है, लेकिन, इसकी जानकारी नहीं है कि कब तक. प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार ने कहा कि खाद वितरण का प्रतिवेदन तैयार कर प्रतिदिन विभागीय स्तर पर भेजा जा रहा है.
समय पर यूरिया खाद की होती है जरूरत किसानों का कहना है कि धान के बेहतर उत्पादन के लिये समय पर यूरिया खाद की जरूरत होती है. लेकिन ऐसा देखा जाता है कि समय पर इसकी आपूर्ति नहीं हो पाती है और लंबे अंतराल के बाद यदि गोदामों में खाद आती है तो उसके वितरण के समय काफी भीड़ लग जाती है .यदि खाद की आपूर्ति हर समय पर्याप्त मात्रा में बनी रहे तो अचानक किसानों की भीड़ नहीं बढ़ेगी.