गया. नगर निगम गया में लेखा समिति का गठन इस बार किया गया था, लेकिन काफी विवाद होने के चलते इस समिति के अस्तित्व पर ही संकट के बादल गहरा गये. निगम की ओर से गठित लेखा समिति में नौ सदस्य होते हैं. इसमें दो बाहरी को भी रखा जाता है, जो वार्ड के चयनित पार्षद नहीं हों. यहां पर इस समिति के साथ अन्य समितियों के गठन की चर्चा जोरों पर चुनाव समाप्त होते ही होने लगी, क्योंकि मेयर गुट के एक महत्वपूर्ण सदस्य ही चुनाव में पार्षद का सीट नहीं जीत सके थे. उन्हें हर हाल में निगम के बैठकों में लाना मेयर गुट चाह रहा था. इसका कुछ जगहों पर अंदर ही अंदर विरोध भी होने लगा. अंत में यह समिति विवाद की भेंट चढ़ गयी. ऐसे माना जाता है कि लेखा समिति का गठन निकायों में ऑडिट रिपोर्ट, खर्च व भुगतान की संचिका पर निगरानी रखने के लिए किया गया था. इसके साथ ही संदेह होने पर जांच भी करने की जिम्मेदारी थी. यहां पर चुनाव के बाद बैठक कर समिति का गठन कर दिया गया. इसके साथ ही अन्य कई तरह की कमेटियों का भी गठन कर दिया गया, ताकि एक समिति के गठन पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर सके. अन्य कमेटियों में सभी क्षेत्र के पार्षदों को जगह दे दिया गया. इसके बाद भी समिति के गठन पर विवाद होता ही रहा. नगर आयुक्त ने इन समितियों के सुचारु करने से पहले विभाग से इस बारे में मंतव्य मांगा गया. वहां से सरकार ने इन समितियों के गठन पर रोक लगा दी. अंत में एक पार्षद ने इस महत्वपूर्ण व्यक्ति को बोर्ड में लाने के लिए अपने क्षेत्र से इस्तीफा दे दिया. उसके बाद वहां से उस महत्वपूर्ण व्यक्ति को पार्षद का चुनाव लड़ा कर इस बोर्ड में आना सुलभ हो सका.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है