गया
. अक्षय तृतीया का व्रत 10 मई को मनाया जायेगा. अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की पौराणिक मान्यता रही है, इस निमित्त विष्णुपद मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटने की उम्मीद है. मान्यता है कि अक्षय तृतीया तिथि को किये गये पूजा पाठ ग दान कर्म से मिलने वाला फल कभी नष्ट नहीं होता. अक्षय रहता है. वहीं अक्षय तृतीया तिथि को सोने चांदी की खरीदारी का भी महत्व हिंदू धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है. इस तिथि को खरीदी गयी वस्तु भी अक्षय होता है. इस मान्यता को लेकर शहर के अधिकतर सोने-चांदी की दुकानों के प्रोपराइटर ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के लुभावने ऑफर दे रहे हैं. कहीं मेकिंग चार्ज में छूट दी जा रही है, तो कहीं सोने की खरीदारी पर चांदी का सामान उपहार में दिया जा रहा है. श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल ने बताया कि अक्षय तृतीया तिथि पर इस बार 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के विष्णुपद मंदिर पहुंचने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि पूजा अर्चना के निमित्त विष्णुपद मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को समुचित बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. पानी, सफाई, रोशनी व सुरक्षा की समुचित व्यवस्था मंदिर परिसर में समिति द्वारा की गयी है. सभी व्यवस्था की निगरानी के लिए मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरे द्वारा की जायेगी. उन्होंने बताया कि गर्मी को देखते हुए पूरे मंदिर परिसर में कारपेट बढ़ा दिया गया. बेहतर विधि व्यवस्था के लिए दो अतिरिक्त गार्ड की भी प्रतिनियुक्ति की गयी है. जानकारों की माने तो हिंदू धर्म शास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि को बहुत ही शुभ व मंगलकारी मानी गयी है. इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अति शुभ व अक्षय फल देने वाला होता है. इस दिन नये आभूषण की खरीदारी व नये व्यापार का आरंभ, विवाह संस्कार आदि करना अति लाभदायक माना गया है. श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल ने बताया कि अक्षय तृतीया के अवसर पर विष्णुपद मंदिर के गर्भ गृह स्थित भगवान श्री विष्णु चरण का विशेष पूजन, तुलसी अर्चना सहित विविध अनुष्ठान किये जायेंगे. भगवान श्रीविष्णु चरण को पंचामृत से स्नान कराया जायेगा. महाआरती की जायेगी. साथ ही चरण का भव्य शृंगार भी किया जायेगा.विष्णुपद मंदिर आने वाले सभी श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. अक्षय फल मिलने की मान्यता रहने से अक्षय तृतीया पर देश के विभिन्न राज्यों से आये काफी पिंडदानी अपने पितरों को पिंडदान भी करेंगे.
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