Gaya News : मौसम व जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन के लिए सीयूएसबी को 1.10 करोड़ का अनुदान

Gaya News : अनुसंधान केंद्रित सीयूएसबी के पर्यावरण विज्ञान विभाग (इवीएस) को विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना सुधार (एफआइएसटी) योजना के तहत 1.10 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 5, 2025 8:27 PM
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गया. अनुसंधान केंद्रित सीयूएसबी के पर्यावरण विज्ञान विभाग (इवीएस) को विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना सुधार (एफआइएसटी) योजना के तहत 1.10 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है. इस विशेष उपलब्धि पर सीयूएसबी के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह व रजिस्ट्रार प्रो नरेंद्र कुमार राणा ने विभाग को बधाई दी है. कुलपति ने अनुदान मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस अनुदान से विश्वविद्यालय मौसम, जलवायु परिवर्तन क्षेत्र से संबंधित अन्य पर्यावरणीय घटनाओं के अध्ययन में बड़ा योगदान दे सकेगा. यह राष्ट्र और विकसित भारत @ 2047 मिशन के लिए एक बड़ा कदम होगा. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि 1.10 करोड़ डीएसटी-एफआइएसटी परियोजना की अवधि पांच वर्ष की है. यह अनुदान इवीएस विभाग में जल, मृदा और वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी पर अध्ययन करने के लिए गीली व सूखी प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए दिया गया है. प्रो प्रधान पार्थ सारथी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह विभाग के संकाय सदस्य प्रो राम कुमार, डॉ राजेश कुमार रंजन, डॉ प्रशांत, डॉ एनएल देवी और डॉ सोमा गिरी के संयुक्त प्रयास का परिणाम है. उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की योजना एस एंड टी इंफ्रास्ट्रक्चर (एफआइएसटी) के सुधार के लिए निधि का उद्देश्य नये और उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचा और सक्षम सुविधाएं प्रदान करना है. यह योजना स्नातकोत्तर व उच्चतर अनुसंधान के लिए इष्टतम बुनियादी ढांचा सुविधाएं प्रदान करती है, जिसमें मौजूदा प्रयोगशाला स्थान का नवीनीकरण, प्रयोगशालाओं का आधुनिकीकरण, मौजूदा सुविधाओं का उन्नयन, सॉफ्टवेयर और डेटाबेस सहित नेटवर्किंग व कंप्यूटेशनल सुविधाएं, वैज्ञानिक और तकनीकी पुस्तकें, मौजूदा और नयी सुविधाओं का रखरखाव और नवीनीकरण आदि शामिल हैं. भारत सरकार के इस अनुदान का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों के विभागों और केंद्रों में अनुसंधान गतिविधियों को अधिक प्रभावी और कुशलतापूर्वक सक्षम करने के लिए पूरक आर्थिक समर्थन देना है.

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