गया के ANMMCH में थैलेसेमिया डे-केयर सेंटर के बाद भी नहीं है जांच की सुविधा, इलाज करने में होती है दिक्कत

गया के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल ANMMCH में थैलेसेमिया के लिए डे-केयर सेंटर मौजूद हैं. लेकिन इस बीमारी की जांच के लिए सुविधा उपलब्ध नहीं है. इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है

By Anand Shekhar | May 5, 2024 5:10 AM

गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (ANMMCH) में थैलेसेमिया केयर सेंटर कई वर्ष पहले खोला गया. इस बीमारी के शिकार बच्चों को यहां का फायदा भी मिल रहा है, लेकिन इतने बड़े अस्पताल में थैलेसेमिया रोग की सही तरीके से जांच के लिए एलेक्ट्रोफोरेसिस जांच की सुविधा नहीं है. इसके चलते कई मरीजों को मनमाना पैसा देकर प्राइवेट में जांच कराना पड़ता है. मनमाना पैसा देने के बाद भी रिपोर्ट सही नहीं मिल पाती है.

देश के कई प्रसिद्ध पैथोलैब का कलेक्शन सेंटर गया शहर में जगह-जगह खोल लिया गया है. लेकिन, इनकी रिपोर्ट पर भी सवाल उठने लगे हैं. अस्पताल में सक्रिय दलाल जांच लिखाते ही परिजन को अपने बातचीत के जाल में फंसा कर उन्हें बाहर के कलेक्शन सेंटर में पहुंचा देते हैं. यह हालत सिर्फ एलेक्ट्रोफोरेसिस नहीं बल्कि यहां अल्ट्रासाउंड व अन्य तरह के जांच में भी इसी तरह की बात है.

हाल ही में सर्जरी विभाग में एक मरीज अल्ट्रासाउंड कराकर पहुंचते ही कहा कि उसे पथरी है. उसे इसके लिए ऑपरेशन कराना है. बाहर के जांच पर यहां के डॉक्टर विश्वास नहीं करते हुए कुछ तरह के और जांच कराये. इसके बाद उसके पेट में पथरी होने की पुष्टि कहीं से नहीं हुई.

प्राइवेट में जांच की रिपोर्ट की स्थिति

कुछ दिन पहले एक बच्ची को मगध मेडिकल के बच्चा वार्ड में हेमोग्लोबिन की गिरावट की शिकायत पर परिजनों ने भर्ती कराया. यहां पर डॉक्टरों ने संदेह जारी किया कि उसे थेलेसेमिया हो सकता है. इसके चलते ही हेमोग्लाेबिन में गिरावट आ रही है. यहां से इसकी पुष्टि के लिए परिजन को एलेक्ट्रोफोरेसिस जांच कराने की सलाह दी गयी.

यह जांच अस्पताल में नहीं होने के कारण प्रतिष्ठित लैब के कलेक्शन सेंटर में बच्ची की जांच परिजनों ने करायी. यहां पर बच्ची की रिपोर्ट नाॅर्मल दे दी गयी. बच्ची को इलाज के बाद यहां के डॉक्टरों ने डिस्चार्ज कर दिया. लेकिन, एक डॉक्टर ने इस जांच पर ही सवाल खड़ा करते हुए डिस्चार्ज स्लिप पर थैलेसेमिया होने का संदेह व्यक्त कर दिया.

कुछ दिन बाद ही बच्ची का फिर से हेमोग्लोबिन में गिरावट आने लगी. इसके बाद परिजनों ने पटना एम्स में इलाज के लिए ले गये. वहां पर एलेक्ट्रोफोरेसिस जांच में साफ हो गया कि बच्ची को मेजर थैलेसेमिया है.

जांच की सुविधा नहीं रहने से होती है परेशानी

अस्पताल परिसर में जांच की सुविधा नहीं रहने से जांच बाहर से कराना पड़ता है. सूचना मिली है कि बाहर के जांच में त्रुटियां सामने आ रही हैं. इसके चलते इलाज में भी कई तरह की दिक्कत होती हैं. सही रिपोर्ट नहीं होने के कारण डॉक्टरों को इलाज शुरू करने या फिर सटीक इलाज मरीज को नहीं मिल पाता है. जांच की सुविधा शुरू करने के लिए विभाग को पत्र लिखा जा रहा है.

डॉ विनोद शंकर सिंह, अधीक्षक, एएनएमएमसीएच

गलत रिपोर्ट देना गंभीर मामला

किसी तरह की जांच में प्रतिष्ठित पैथोलैब का रिपोर्ट गलत आना बहुत ही गंभीर मामला है. इससे इलाज के बिना मरीज की जान भी जा सकती है. इस तरह के मामले को गंभीरता से लिया जायेगा. मगध मेडिकल अस्पताल परिसर में जांच की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए. मरीजों का एलेक्ट्रोफोरेसिस जांच कराने के बाद इलाज के लिए कार्ययोजना बनायी जा रही है.

नीलेश कुमार, स्वास्थ्य डीपीएम

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