पटना/गया : कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर लगाये गये लॉकडाउन का असर लगातार सूबे की आबोहवा पर दिख रहा है. गतिविधियों के थमने से हवा स्वच्छ हुई है, धूल कणों में भी काफी कमी आयी है. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से राजधानी के साथ-साथ सूबे के गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर आदि शहरों के प्रदूषण स्तर की अध्ययन रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष राजधानी में 11 फीसदी, तो गया में 47 फीसदी और मुजफ्फरपुर में 25 फीसदी धूल कण की मात्रा में कमी आयी है. इससे इन शहरों की एयर क्वालिटी में भी गुणात्मक सुधार देखा गया है.
यह अध्ययन वर्ष 2019 के 22 मार्च से 30 अप्रैल की अवधि के मुकाबले वर्ष 2020 की इसी अवधि में किया गया.प्रदूषण कारकों में 17 से 89 प्रतिशत की हुई कमी राज्य में प्रदूषण बायोमास, कोयला जलाने, ईंट-भट्ठे, पावर प्लांट, निर्माण गतिविधियां, डीजल जेनेरेटर सेट और परिवहन आदि से प्रदूषण स्तर बढ़ता है. इन प्लांटों व गतिविधियों से उत्सर्जन होने वाली गैसों से प्रदूषण स्तर बढ़ता है. लेकिन, लॉकडाउन के दौरान सभी गतिविधियां बंद रहीं. इससे सूबे में प्रदूषण कारकों में 17 से 89 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है. प्रदूषण पर्षद की रिपोर्ट में बताया गया कि राजधानी में बीआइटी मेसरा, राजकीय उच्च विद्यालय शिकारपुरा, एसकेएम स्मारक, मुरादपुर आदि जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स मशीनें लगायी गयी हैं, जिनके आकंड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि यहां की एयर क्वालिटी अच्छी हुई है. वहीं, गया, हाजीपुर व मुजफ्फरपुर में एयर क्वालिटी संतोषजनक स्थिति में आ गयी है. प्रदूषण पर्षद के पीआरओ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि पर्षद के वैज्ञानिकों ने लॉकडाउन के दौरान पीएम 10, पीएम 2.5, नाइट्रोजन व कार्बन की मात्रा का अध्ययन किया है.