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पितृपक्ष मेला शुरू होने में 2 महीने से भी कम समय, इंजीनियर अभी भी एस्टिमेट तैयार करने में व्यस्त

पितृपक्ष मेले की अधिकांश व्यवस्था नगर निगम के जिम्मे है. इसके बाद भी समय पर आकलन नहीं होता. पितृ पक्ष मेला नजदीक आने पर निगम सक्रिय होता है.

Pitru Paksh 2024: मोक्ष नगरी गया में लगने वाले पितृपक्ष मेला के क्षेत्र की ज्यादातर जिम्मेदारी नगर निगम की होती है. इसके बाद भी हर बार समय कम होने का रोना रोया जाता है. दो माह से भी कम समय मेला शुरू होने में शेष बच गया है. निगम की ओर से मेला क्षेत्र में रोड-नाली को ठीक करने, नाला बनाने, ढक्कन लगाने आदि का आकलन कर फिलहाल इंजीनियर एस्टिमेट बनाने में लगे हैं. इन योजनाओं को टेंडर से कराने के लिए अब समय नहीं रह गया है. डेढ़ माह टेंडर की प्रक्रिया, एग्रीमेंट आदि में समय बीत जायेगा. 15 दिनों में योजनाओं को पूरा करना संभव नहीं दिखता है.

हर वर्ष कराना पड़ता है काम

निगम सूत्रों का कहना है कि निगम को पता रहता है कि हर बार मेला होना है. इस राजकीय मेले में ज्यादातर तैयारियां निगम को ही करनी हैं. इसके बाद भी हर बार समय का अभाव दिखाया जाता है. सूत्र बताते हैं कि मेले से पहले हर बार नाली-रोड के साथ ढक्कन लगाने का काम जोर-शोर से चलता है. लेकिन, दूसरे वर्ष इन जगहों पर काम फिर से कराना पड़ता है. पिछले वर्ष मेला के उद्घाटन के दौरान मंत्रियों ने कहा था कि मेला क्षेत्र में ऐसा रोड व नाली बनायी जाये, जिसे पांच वर्षों तक काम नहीं कराना पड़े. पिछले दिनों विभागीय तौर पर इंजीनियर की ओर से पूरी की गयी योजनाओं में कई तरह के सवाल उठाये गये थे. लेकिन, उस पर जनप्रतिनिधि या फिर अधिकारी ने कोई संज्ञान तक नहीं लिया है.

इंजीनियर को 10-10 काम की जिम्मेदारी विभागीय तौर पर दी गयी

निगम सूत्रों का कहना है कि बारिश के समय नाली की सफाई करना, किसी तरह के आयोजन के समय ही कई योजनाओं को पूरा किया जाना निगम के लिए आम बात है. ऐसे निगम में देखा जाये, तो योजनाओं में विभागीय काम पर पार्षदों का भी जोर होता है. इतना ही नहीं, बैठकों में कई पार्षद कह चुके हैं कि विधायक व सांसद की तर्ज पर यहां भी सारा काम विभागीय ही कराया जाये. इस कारण ही कई योजनाओं को पूरा करने के लिए यहां के इंजीनियर को 10-10 काम की जिम्मेदारी विभागीय तौर पर दी गयी है. 

हर बार सफाई को लेकर होता है टेंडर

निगम से मिली जानकारी के अनुसार, मेला क्षेत्र में सफाई के काम को कराने के लिए हर बार किसी एजेंसी को जिम्मेदारी सौंप दी जाती है. निगमकर्मी व अधिकारी सिर्फ उनके काम की निगरानी करते हैं. इससे निगम को राहत मिलती है. ऐसे भी कई एजेंसियां फिलहाल निगम को सफाईकर्मी उपलब्ध करा रही हैं. 

इंजीनियर का यह है तर्क

निगम के इंजीनियर ने बताया कि अब किसी भी योजना में निगम से ठेकेदार को मेंटेनेंस चार्ज नहीं दिया जाता है. इस कारण भी कई जगहों पर दिक्कत आती है. सीमेंट में भी फिलहाल पहले की तुलना बहुत अंतर आ गया है. मेंटेनेंस चार्ज नहीं मिलने के चलते ही ठेकेदार गुणवत्ता की ओर विशेष ध्यान नहीं देता है. दोनों ओर से खामियां नजर आती हैं. इसीलिए, इसके लिए किसी एक को दोष देना उचित नहीं होगा.

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क्या कहते हैं मेयर

बोर्ड की ओर से पितृपक्ष को लेकर पूरी तौर से सतर्कता बरती जा रही है. इसीलिए, पहले के बोर्ड की बैठक में ही प्रस्ताव को पारित कर मेला क्षेत्र में विभिन्न तरह की योजनाओं में काम करने का निर्देश दिया गया है. इसके बाद भी समय पर आकलन कर काम को शुरू नहीं किया जा सका है. बैठक में इंजीनियर समय पर काम करने का दुहाई देते हैं. हर बार पितृपक्ष में करोड़ों रुपये का काम कराया जाता है. लेकिन, छह माह में सब जगह हवा निकल जाती है. इसका मुख्य कारण है कि एक-एक इंजीनियर को नियम के अनुसार तीन योजनाओं को एक बार में विभागीय तौर पर देना है. तीन योजनाओं के पूरी होने के बाद ही काम आगे देना है. लेकिन, यहां नियम के विपरीत 10-10 विभागीय काम देकर योजनाओं को पूरा कराया जा रहा है. इंजीनियर भी पेटी कांट्रेक्ट पर ही योजनाओं को पूरा कराते हैं. मेला क्षेत्र से अन्य जगहों पर ऐसा रोड-नाली बनाया जाना चाहिए, जिसे पांच वर्ष तक छूना नहीं पड़े. मेला क्षेत्र की विकास योजनाओं का काम हर हाल में टेंडर के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए. 

डॉ वीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान, मेयर

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