EX CM : ‘पहले बाप ने गाली दी, अब बेटा दे रहा’, लालू-तेजस्वी पर भड़के पूर्व मुख्यमंत्री, जाति पर घमासान तेज
EX CM Jitan Ram Manjhi: बिहार में जाति को लेकर घमासान मचा हुआ है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इसी मुद्दे को लेकर लालू यादव और तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है.
EX CM Jitan Ram Manjhi: अगले बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इन दिनों जाति का खेल गरमाया हुआ है. किस नेता की जाति क्या है, कौन असली है कौन नकली है इस बात को लेकर राज्य के दो पूर्व सीएम के बीच जुबानी हमला जारी है. इसी कड़ी में एक और नेता के बयान ने मामले को और हवा दे दी. बता दें कि इन दिनों राजद सुप्रीमो लालू यादव और हम प्रमुख जीतन राम मांझी के बीच जाति को लेकर घमासान मचा हुआ है. दोनों नेता खुलेआम एक-दूसरे की जाति को लेकर सवाल उठा रहे हैं. लालू यादव और तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए मांझी ने कहा कि पहले पिता मुझे गलियां दे रहा था और अब पुत्र भी गाली दे रहा है.
पिता-पुत्र के बयान से दुखी हैं मांझी
तेजस्वी यादव द्वारा जीतन राम मांझी की जगह जीतन राम शर्मा कहे जाने पर केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी बहुत दुखी हैं. उन्होंने कहा, ‘पिता-पुत्र ने गालियां दी है तो अब क्या बचा है? हम गरीब, मुसहर हो सकते हैं, लेकिन क्या मेरा स्वभिमान नहीं है.’ मांझी ने आगे कहा, ‘2014 के चुनाव में लालू यादव ने लोगों से पूछा था कि यहां से कौन चुनाव लड़ रहा है तो लोगों ने कहा कि जीतनराम मांझी लड़ रहे हैं. इस पर किसी ने जीतन राम शर्मा नहीं कहा था. 10 वर्षों तक इस बात को अपने सीने में दबाकर रखा.’
लालू यादव को गड़ेरिया कहा
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने लालू यादव की जाति को लेकर कहा, ‘बिहार के पूर्व सीएम डॉक्टर श्रीकृष्ण सिंह के 2 सिपाह सलाहकार थे. जिसमें एक भूमिहार और दूसरा गड़ेरिया था. भूमिहार को तो उन्होंने शादी करा दिया फिर जब गड़ेरिया की शादी की बात आई तो लालू की मां से शादी करा दिया. जब वह गड़ेरिया थे और उससे जन्मे तो गड़ेरिया नहीं है तो क्या है?’
मुसहर हैं भुईयां हैं, तो स्वाभिमान नहीं है क्या?
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘ मुसहर हैं भुईयां हैं, तो स्वाभिमान नहीं है क्या? इसके लिए आप लोगों को यह लगना चाहिए था. लालू प्रसाद यादव अगर हरिजन के हितैषी होते तो चरवाहा स्कूल खोलते. कितना आवासीय विद्यालय, आईटीआई, कॉलेज बना दिए अपने समय में. पढ़ाई से तो दूर हैं किसी तरह गम्हारी भाषा बोलकर अपनी जाति के नाम शासन किया था. बिहार के लिए कुछ नहीं किया, अगर किया भी है तो वह अपने लोगों के लिए किया है.’
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