मोटे अनाज की खेती करें किसान
मड़ुआ, रांगी, ज्वार, बाजरा , कोदो आदि की फसल से किसान बढ़ा रहे आमदनी
मड़ुआ, रांगी, ज्वार, बाजरा , कोदो आदि की फसल से किसान बढ़ा रहे आमदनी बोधगया. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) पटना की ओर से जलछाजन व जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के अंतर्गत परियोजना क्षेत्र के चयनित किसानों का श्री अन्न (मिलेट्स) उत्पादन विषयक परीक्षण का आयोजन किया गया. डेल्टा इंंटरनेशनल होटल में सोमवार को कार्यक्रम का उद्घाटन नाबार्ड के सीजीएम सुनील कुमार, सहायक महाप्रबंधक विभोर कुमार, डीबीजीबी के क्षेत्रीय प्रबंधक विकास कुमार, पीएनबी एफएलसी के जनार्दन, आर सेटी के निदेशक सुनील कुमार व मानपुर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार राय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. किसानों को संबोधित करते हुए नाबार्ड के सीजीएम सुनील कुमार ने कहा कि मौसम के अनुकूल किसान मोटे अनाज जैसे मड़ुआ, रांगी, ज्वार, बाजरा , चिना, कोदो समेत अन्य फसलों की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. आने वाले समय में सरकार किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से इसकी मार्केटिंग करेगी. कृषि विज्ञान केंद्र मानपुर के वैज्ञानिक मनोज कुमार राय ने किसानों को बताया कि चावल व गेहूं से तीन से पांच गुणा अधिक पोषण मोटे अनाज में पाया जाता है और पूरा दक्षिण बिहार व इससे सटे राज्य झारखंड के क्षेत्रों में खेती करने कि प्रबल संभावनाएं हैं. जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम संचालित नाबार्ड के डीडीएम उदय कुमार ने बताया कि गया के बाराचट्टी, डोभी, डुमरिया व खिजरसराय प्रखंडों में नाबार्ड की ओर से जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. इन क्षेत्रों के किसानों को मोटे अनाज के लिए इनपुट सहयोग कर खेती करायी जा रही है. इस कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख लोगों में मगध विकास भारती के मंत्री शिवनंदन प्रसाद, परियोजना अभियंता महेश प्रसाद, समन्वय तीर्थ के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी, धनसिंगरा, महकार व हरियावां जलछाजन परियोजना के प्रगतिशील किसान मौजूद थे. इस कार्यक्रम में सीजीएम ने किसानों को मड़ुआ बीज का वितरण भी किया.
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