टिकारी : गया के कई प्रखंडों में नीलगायों द्वारा किसानों की फसलों की क्षति होती रही है. इसके ज्यादा मामले कोंच, टिकारी इत्यादि प्रखंड में होते रहे हैं. नीलगाय से फसल क्षति का हाल इतना भयानक है कि बिहार सरकार द्वारा 2016 में नीलगाय को मारने के लिए वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 कानून में संशोधन किया गया एवं वन प्रमंडल पदाधिकारी को 50 नीलगाय तक को मारने के आदेश को आदेश निर्गत करने की शक्ति प्रदत्त की गयी.
इस दौरान फसल क्षति के लिए प्रभावित किसानों को वन विभाग की तरफ से मुआवजा दिया जाता रहा है. डीएफओ अभिषेक कुमार ने बताया कि वन विभाग, गया द्वारा टिकारी के चुल्हनबिगहा गांव को पायलट प्रोजेक्ट की तरह लिया गया. यहां गांव की परिधि में ऐसी मशीन लगायी गयी है, जो किसी भी नीलगाय के समीप 50 फुट तक आने पर ऐसी ध्वनि एवं प्रकाश तरंगें प्रेषित करता है, जो नीलगाय को विचलित करती हैं एवं नीलगाय लौट जाता है.
ऐसे 10 यंत्र चुल्हनबिगहा गांव के समीप बने नहर से लगाया गया है, जो नीलगायों के आने का रास्ता हुआ करता था. यंत्र लगाने के 15 दिन बाद, ग्रामीणों से ली गयी. जानकारी से पता चला कि एक भी नीलगाय उनके फसल को नष्ट करने इधर नहीं आया. सभी फसल अब सुरक्षित हैं एवं रात में यंत्र की ध्वनि आती रहती है, जिससे नीलगाय के आने का भी पता चलता है. यह यंत्र सौर ऊर्जा से दिन में चार्ज होता है एवं रात भर काम करता है.
नहर के सटे यंत्र लगाये गये हैं. उसके बाद के सभी गांव नीलगायों के प्रकोप से सुरक्षित हो गये हैं. इन यंत्रों के लगाने से जो प्रति किसान हर वर्ष लाखों का फसल नुकसान हो जाता करता था उसपर रोक लगेगी एवं लोगों को शारीरिक क्षति होती थी वह भी रुकेगा. इसकी खबर फैलने से आस पास के गांव से भी यंत्र लगाने का आग्रह किया गया है एवं उसे इस वर्ष लगाने का प्रयास किया जायेगा. अब ग्रामीण खुश हैं और नीलगाय को मारने के आवेदन को भी खारिज करने कहा गया है.
posted by ashish jha