गया. शहर व मेला क्षेत्र के कचरा को मिलाकर निगम पर बोझ बढ़ गया है. हर दिन शहर से आम दिनों में 400 से 450 टन कचरा निकलता है. अब मेला के दौरान इसमें 200 टन की वृद्धि हो गयी है. निगम की ओर से इस बढ़े हुए बोझ के निबटारे के लिए अतिरिक्त संसाधन का उपयोग किया जा रहा है. निगम से मिली जानकारी के अनुसार, मेला क्षेत्र के कचरा में 30 प्रतिशत कपड़ा, 30 प्रतिशत फूल माला व पिंड के सामान रह रहे हैं. ऐसे भी देखा जाये, तो सामान्य दिनों के कचरा में प्लास्टिक की मात्रा अच्छी-खासी रहने के कारण उसके निस्तारण में काफी दिक्कत आती है. इतना ही नहीं पॉलीथिन बैग व बिना रिसाइकिल वाले प्लास्टिक को आरडीएफ के तौर पर सीमेंट फैक्ट्री को इंधन में उपयोग के लिए यहां से भेजा जाता है. बिहार में पहला नगर निगम है जहां पर कचरा निस्तारण के लिए प्लांट लगाया गया है. निगम सूत्रों का कहना है कि 30 वर्षों से जमा कचरे का निस्तारण अब तक बाकी है. इसको लेकर कई बार बोर्ड में भी सवाल उठाया जा चुका है.
नहीं बंद हो रहे कचरे में पॉलीथिन बैग
कचरे में देखा जाये, तो पॉलीथिन बैग की कमी नहीं आ रही है. नगर निगम की ओर से समय-समय पर पॉलीथिन उपयोग बंद करने के लिए शहर के विभिन्न जगहों पर छापेमारी की जाती रही है. लोगों को जागरूक करने के लिए निगम से करोड़ों रुपये अब तक खर्च किये गये हैं. इसके बाद भी लोगों में किसी तरह की जागरूकता पॉलीथिन को लेकर नहीं दिखती है. इसके चलते नाला जाम होता है. इसके अलावा लोग बीमार भी होते हैं.
बेहतर ढंग से हो रहा कचरा का निस्तारण
सहायक लोक स्वच्छता पदाधिकारी मोनू कुमार ने बताया कि पितृपक्ष मेले को देखते हुए कचरा ढुलाई के लिए अलग से संसाधन लगाये गये हैं. हर दिन करीब 400 टन शहर से व पितृपक्ष मेला क्षेत्र से 200 टन कचरा निकल रहा है. कचरा का निस्तारण के लिए प्लांट में कचरा पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि हर दिन कचरा निस्तारण कर लिया जा रहा है. मेला को लेकर बेहतर-से-बेहतर काम किया जा रहा है, ताकि किसी जगह से शिकायत नहीं मिले.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है