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Gaya News : उषा किरण के नाम पर दिया जायेगा शोध अवार्ड

Gaya News : एमयू में गुरुवार को साहित्यकार उषा किरण खान के जनमोत्सव पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

बोधगया. उषा किरण साहित्य की धरोहर हैं. उन्हें साहित्य की सेवा के लिए जिस समय पद्मश्री दिया गया, वह दुर्लभ है. वे ज्ञानपीठ और उससे भी बड़े पुरस्कारों की हकदार थीं. उनका सान्निध्य मां की तरह था. उक्त बातें कहते हुए कुलपति प्रो एसपी शाही ने घोषणा की कि विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में कॉर्पस फंड से जो शोध अवॉर्ड दिया जायेगा, वह उषा किरण के नाम पर दिया जायेगा. उक्त बातें मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशि प्रताप शाही ने ””आयाम: साहित्य का स्त्री स्वर”” और मगध विश्वविद्यालय के सामूहिक तत्वाधान में पद्मश्री उषाकिरण खान के जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम किरणोत्सव में कहीं. इस दौरान प्रसिद्ध साहित्यकार रत्नेश्वर सिंह ने कहा कि व्यक्ति का सही मूल्यांकन उसके जाने के बाद ही हो पाता है. दूब धान कहानी, भामती उपन्यास, गयी झुलनी टूट उपन्यास – मातृत्व बोध प्रबल होकर उभरता है. ””आयाम”” संस्था भी उनका बड़ा सृजन है.

पाठकों से होता है लेखक का सबसे घनिष्ठ संबंध

मुख्य अतिथि और मुंबई की प्रख्यात साहित्यकार वकील चित्रा देसाई ने कहा कि लेखक का सबसे घनिष्ठ संबंध उसके पाठक से होता है. इस लिहाज से मैं उषा के सबसे करीबियों में होने का दावा कर सकती हूं. दूब धान कहानी का अनेक बार पुनर्पाठ किया है. यह हर उस स्त्री की कहानी है जो अपने ग्रामीण और कस्बाई परिवेश को छोड़कर महानगरीय जीवन जी रही हैं और अपनी जड़ों को भूल नहीं पा रही है.

सहजता की प्रतिमूर्ति थीं उषा किरण

विधान परिषद सदस्य प्रो वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि आम आदमी होने की पहली शर्त है सहजता. यही सहजता उषा को विशिष्ट बनाती है. मैथिलीशरण गुप्त की यशोधरा अपनी सहजता में ही बुद्ध को प्रश्नांकित करती हैं. साहित्य सांस्कृतिक रूपांतरण की प्रक्रिया को संपन्न करता है. उषा को याद करना अपने को पवित्र करना है. आयाम की सचिव प्रो वीणा अमृत ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया. सदस्य प्रो नीलिमा ने उषा किरण पर पुरस्कार आरंभ करने का प्रस्ताव दिया. डॉ रीता और हिंदी, मगही और पत्रकारिता विभाग से प्रो ब्रजेश कुमार राय ने धन्यवाद ज्ञापन किया. मंच संचालन डॉ निवेदिता झा ने किया.

कई गणमान्य शिक्षाविद हुए शामिल

मगध विश्वविद्यालय और पटना के कई शिक्षक और शोधार्थी इस अवसर पर उपस्थित रहे. प्रो उमेश राय, डॉ गोपाल सिंह, डॉ प्रमोद चौधरी, डॉ आनंद कुमार सिंह, डॉ जावेद अंजुम, डॉ रंजना तिवारी, उषा किरण की बेटियां कनुप्रिया और तनुजा, डॉ रेखा कुमारी, डॉ राकेश कुमार रंजन, डॉ अम्बे कुमारी, डॉ अनुज कुमार तरुण, प्रो जनकमणि कुमारी, डॉ किरण कुमारी शामिल रहे .

जेडी वीमेंस कॉलेज की छात्राओं ने झिझिया किया प्रस्तुत

दूसरे यानी सांस्कृतिक सत्र में जेडी वीमेंस कॉलेज की छात्राओं ने झिझिया लोक नृत्य, काव्य पाठ तथा नाटक का मंचन किया. कार्यक्रम के तीसरे सत्र का आरंभ चित्रा देसाई के काव्य-पाठ के साथ हुआ. एमयू हिंदी विभाग की पूर्व प्राध्यापिका डॉ जनकमणि कुमारी द्वारा रवींद्र गान की भावपूर्ण प्रस्तुति दी गयी. उषा किरण की कहानियों पर आधारित कोलाज ””किस्सा : एक कशिश”” के अन्तर्गत ””श्रीमन्नारायण””कहानी की सुंदर प्रस्तुति उनकी थियेटर कलाकार बेटियों कनुप्रिया और तनुजा शंकर द्वारा दी गयी. मंच संचालन सुनीता गुप्ता एवं धन्यवाद ज्ञापन रंजीता तिवारी ने किया.

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