गुरुआ. गुरुआ प्रखंड के मंडा पहाड़ व गांव में हजारों वर्ष पुराना इतिहास का साक्ष्य मौजूद है. पुरातात्विक महत्व का यह स्थल प्राचीन काल में बौद्ध, जैन व शैवों का संगम स्थल था. जहां प्राचीन बौद्ध मंदिर के अवशेष हैं. इस पहाड़ का जिक्र सबसे पहले ब्रिटिश अधिकारी मेजर किट्टो ने 1847 में अपने यात्रा विवरण में किया था. बौद्ध अवशेषों पर शोध कर रहे पटना विश्वविद्यालय में शोधार्थी प्रिंस कुमार बुद्धमित्र ने बताया कि पहाड़ी पर चढ़ते ही, एक सुंदर भगवान शिव का मंदिर स्थित है जो कि एक गुप्ताकालीन टिल्हे पर स्थित है. शिव मंदिर से नीचे उतारते ही सीढ़ी के पास प्राचीन कमलासन के अवशेष हैं. पहाड़ के बड़े चाट्टानों मे प्राचीन विधि से पत्थर काटने के भी साक्ष्य मिलते हैं. साथ ही खंडित रूप में पार्श्वनाथ की भी छोटी प्रतिमा है. जो संभवत: बगल के गांव से लाकर स्थापित की गयी है. मंदिर के समीप कुटिया में गुप्ताकालीन ईंट बड़ी संख्या में मौजूद हैं. मंडा मिडिल स्कूल के बगल में देवी मंदिर के प्रांगण में बौद्ध व ब्रह्मण धर्म के अवशेष सुरक्षित हैं. इन प्रतिमाओं में भगवान बुद्ध की भू-भूमी स्पर्श, अभयमुद्र व उनके जीवन का अंकन है.वेतिका स्तूप के भी अवशेष हैं. इसके आलवा शैव (हिंदू ) से संबंधित उमा-माहेश्वर भी स्थित हैं. सभी पुरातात्विक महत्व को ग्रामीणों द्वारा संरक्षित किया गया है. मंदिर के सामने विशाल प्राचीन गढ़ है, जो कि किसी बड़े प्राचीन बस्ती की ओर इंगित करता है. गढ़ में भी पालकालीन ईंट व पोट्री के अवशेष दिखते हैं.
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