बोधगया. तिब्बत की आजादी की अलख जगाने के लिए तिब्बती मूल के 64 वर्षीय जयमांग तेनजिंग साइकिल से लगभग 2387 किलोमीटर की दूरी तय कर बोधगया पहुंचे हैं. वह 14 दिनों से लगातार साइकिल यात्रा कर बोधगया पहुंचे हैं. यहां तिब्बत बौद्ध मठ में उनका स्वागत किया गया. इस अवसर पर जयमांग तेनजिंग ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य तिब्बत के विभिन्न मुद्दे और भारत की सुरक्षा, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में तिब्बत के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है. उन्होंने बताया कि तिब्बत में मौजूदा गंभीर स्थिति पर प्रकाश डालना चाहता हूं, जहां तिब्बती पहचान, भाषा और संस्कृति को मिटाने के व्यवस्थित प्रयास में शैक्षणिक संस्थानों को जबरन बंद किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि चीन की सरकार की विस्तारवादी नीतियों को दर्शाने का प्रयास करूंगा. इन नीतियों में भारत-तिब्बत सीमा के साथ ही स्थानों के नाम में भी परिवर्तन किया जा रहा है, जो भारत की सीमा सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है. उन्होंने कहा कि इस जागरूकता यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य चीनी सरकार द्वारा अवैध रूप से कब्जा किये गये तिब्बत को बगैर किसी शर्त के तिब्बती लोगों को वापस करने की मांग है. निजी तिब्बती शैक्षणिक संस्थानों को जबरन बंद करके तिब्बती पहचान को मिटाने के उद्देश्य से चीनी सरकार की क्रूर नीतियों को तत्काल रोकने की मांग व भारत सरकार और भारत के नागरिकों से तिब्बत मुद्दे के महत्व को पहचानने व तिब्बत के न्यायोचित उद्देश्य के लिए अपने समर्थन को बढ़ाने की आग्रह करना भी इसमें शामिल है. जयमांग तेनजिंग ने बताया कि उन्होंने चार मर्तबा साइकिल यात्रा की है, जिसमें धर्मशाला से बोधगया 3000 किलोमीटर, बाइलाकुप्पे कर्नाटक से देकीलिंग, देहरादून 3000 किलोमीटर, देकीलिंग से दिल्ली 250 किलोमीटर और लद्दाख खारदुंगला से धर्मशाला 800 किलोमीटर की दूरी तय की है. तिब्बत बौद्ध मठ के भिक्षु प्रभारी आमजे लामा ने उन्हें खादा भेंट कर विदा किया व उनके इस अभियान को पूरा होने की कामना की.
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