Gaya: ब्लड बैंक से 86 यूनिट खून बेचने के मामले में होगी एफआईआर दर्ज, जानें अस्पताल प्रशासन ने क्या कहा
Gaya: गया के एएनएमएमसीएच के ब्लड बैंक में 86 यूनिट खून फर्जी डोनर कार्ड पर बेचने की खबर अस्पताल प्रशासन ने स्वीकार ली है. अब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.
Gaya: अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (ANMMCH) के ब्लड बैंक में 86 यूनिट खून फर्जी डोनर कार्ड पर बेचने की खबर प्रभात खबर में 11 दिसंबर को प्रमुखता से प्रकाशित की गयी थी. इस खबर की सत्यता पर मुहर सोमवार को अस्पताल प्रशासन ने लगा दी है. इस मामले में अधीक्षक डॉ केके सिन्हा के अनुमोदन पर उपाधीक्षक डॉ एनके पासवान ने मेडिकल थाना में प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर पत्र भेजा है. उपाधीक्षक ने पत्र में कहा है कि यह मामला उजागर होने के बाद ब्लड बैंक प्रभारी से रिपोर्ट मांगी गयी. प्रभारी ने रिपोर्ट सौंपी है कि विभिन्न पता व मोबाइल नंबर डाल कर 86 डोनर कार्ड फर्जी तौर से बनाकर ब्लड निकाले गए हैं.
जालसाजी का बड़ा मामला
पुलिस को पूरी सूची भी फर्जी डोनर की उपलब्ध करायी गयी है. यह बहुत बड़ा जालसाजी का मामला है. इस मामले में भारतीय न्याय संहिता 2023 की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गयी है. उपाधीक्षक ने बताया कि कि पोर्टल का पासवर्ड आईडी ऑपरेटर के पास रहता था. इसके लिए वे ही प्राधिकृत हैं. अस्पताल में यह चर्चा हो रही है कि प्रभात खबर की सजगता के कारण ही इस मामले में कार्रवाई के लिए अस्पताल प्रशासन आगे आया है. बार-बार इस मामले से संबंधित खबर लगातार ही प्रभात खबर में प्रकाशित की गयी है.
क्या है मामला
अक्टूबर व नवंबर 2024 में 86 फर्जी डोनर कार्ड पर ब्लड बेचने का मामला प्रकाश में आया. इसके बाद अस्पताल अधीक्षक ने ब्लड बैंक प्रभारी से पूरी रिपोर्ट के साथ कई बिंदुओं पर जवाब मांगा. टालमटोल हुए किसी तरह रिपोर्ट प्रभारी ने दी. इससे पहले भी ब्लड बैंक से खून बेचने का मामला उजागर हुआ. उस वक्त प्रभारी व अन्य सभी ने मामले को दबा दिया था. किसी पर कार्रवाई तक नहीं की गयी थी.
शुरू से उठाए जा रहे हैं ये सवाल
- सही डोनर कार्ड पर खून देने में आनाकानी व कई तरह की जांच, फिर फर्जी डोनर कार्ड पर कैसे बिना जांच के ब्लड दे दिया गया?
- डोनर कार्ड ब्लड देने पर तुरंत कैंसिल करना होता है. रात में कोई डाटा ऑपरेटर नहीं होता है, तो कार्ड कैंसिल कैसे किया जाता है?
- रात में ब्लड बैंक में प्राइवेट एजेंसी के टेक्नीशियन ही सिर्फ तैनात रहते हैं, फिर सिर्फ इस ब्लड की हेराफेरी में डाटा ऑपरेटर सिर्फ दोषी कैसे?
- हर दिन ब्लड का हिसाब मिलाया जाता है, तो प्रभारी ने दो माह से इसका मिलान क्यों नहीं किया. दो पोर्टल के बदले एक पोर्टल से कैसे हो गया डोनर कार्ड इश्यू?
- ब्लड डोनेट करते वक्त परिवार व पहचान की जांच की जाती है. आखिर इतनी संख्या में बिना जांच के ब्लड कैसे दे दिया?
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