Gaya News : शोध में नैतिकता का करें पालन : डॉ गुलाम

Gaya News : अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक नैतिकता का पालन करना है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 8, 2025 9:08 PM

गया. अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक नैतिकता का पालन करना है. अनुसंधान में नैतिकता का पालन करके आप एक अच्छे शोधकर्ता बनने के साथ-साथ उच्च प्रभाव कारक वाले गुणवत्ता वाले पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ वैश्विक शोध क्षेत्र और शिक्षा जगत में योगदान दे सकते हैं. उक्त वक्तव्य गया निवासी व वर्तमान में शीआन जियाओटोंग-लिवरपूल विश्वविद्यालय, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में जैव रसायन विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप के कार्यरत डॉ गुलाम मोहम्मद अशरफ ने सीयूएसबी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित शोध अवसरों के बारे में व्याख्यान-सह-संवादात्मक सत्र के दौरान दिया. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि अपने व्याख्यान के दौरान डॉ अशरफ ने पिछले एक दशक में अपने शोध कार्य के लिए किये गये विभिन्न देशों की यात्रा के निजी अनुभवों को साझा करके छात्रों को प्रेरित किया. उन्होंने शोध का अर्थ और महत्व, शोध विषय का चयन कैसे किया जाना चाहिए, परिणामों के प्रकाशन तक प्रयोगों को कैसे डिजाइन किया जाय के बारे में विस्तार से बताया. डॉ अशरफ ने प्रकाशन के लिए सही पत्रिकाओं का चयन करने के लिए आसान टिप्स भी साझा किये. उन्होंने मल्टीपल स्केलेरोसिस को समझने और उसका इलाज करने पर अपनी वर्तमान प्रयोगशाला रुचि के बारे में जानकारी साझा की, जो एकमात्र न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है जिसका उपचार किया जा सकता है. डॉ अशरफ जो स्वयं गया शहर से हैं, उन्होंने छात्रों को उच्च अध्ययन और शोध के लिए चीन में विभिन्न अच्छे शोध संस्थानों में आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया. इसके साथ उन्होंने विदेशी छात्रों के लिए उपलब्ध रिक्त पदों और छात्रवृत्ति के बारे में जानकारी दी. व्याख्यान से पहले औपचारिक उद्घाटन के बाद स्कूल ऑफ अर्थ, बायोलॉजिकल एंड एनवायरनमेंटल साइंसेज के डीन प्रो रिजवानुल हक व डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के हेड प्रो राकेश कुमार ने डॉ अशरफ का स्वागत किया. बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रो डॉ जावेद अहसन ने उनका संक्षिप्त परिचय दिया. सत्र में विभाग के प्राध्यापक डॉ कृष्ण प्रकाश, डॉ प्रतिष्ठा सोनकर, डॉ संजय कुमार, डॉ दुर्ग विजय सिंह, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के शोधार्थी और छात्र शामिल हुए.

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