गया. एनीमिया का गंभीर असर महिलाओं व किशोरियों पर पड़ता है. गर्भावस्था में गंभीर एनीमिया मातृत्व व शिशु मृत्यु का कारण भी बनता है. इससे सुरक्षा के लिए प्रसव पूर्व जांच जरूरी है, ताकि खून में हीमोग्लोबिन के स्तर की जानकारी मिल सके. गर्भवती के खून में हीमोग्लोबिन की कमी को आइवी आयरन सुक्रोज की मदद से पूरा किया जा सकता है.आइवी आयरन सुक्रोज की सुविधा लेने से गर्भवती के खून में हीमोग्लोबिन की कमी दूर किया जाता है और प्रसव के दौरान की जोखिमों को कम करने में मदद मिलती है. उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने बुधवार को एनीमिया मुक्त कार्यक्रम के तहत सभी प्रखंडों के मेडिकल अफसर व एएनएम के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में बुधवार को कही. कार्यक्रम में डॉ संतोष निराला ने कहा कि प्रसव से पहले एनीमिया ग्रसित गर्भवती की पहचान कर कर एनीमिया से सुरक्षा प्रदान के लिए चिकित्सीय सहायता देने की आवश्यकता होती है. गर्भवती महिलाओं के खून में 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर हीमोग्लोबिन होने पर उसे एनीमिया मुक्त माना जाता है. जबकि, 10.0 से 10.9 ग्राम प्रति डेसीलीटर हीमोग्लोबिन होने पर इसे हल्का एनीमिया ग्रसित माना जाता है. 7.0 से 9.9 ग्राम प्रति डेसीलीटर हीमोग्लोबिन होने पर मध्यम, 5.0 से 7.0 ग्राम प्रति डेसीलीटर हीमोग्लोबिन होने पर गंभीर व 5.0 से कम हीमोग्लोबिन होने पर अतिगंभीर एनीमिया ग्रसित माना जाता है.
एनीमिया के लक्षणों की पहचान है जरूरी
एम्स पटना के डॉ संदीप घोष ने बताया कि एनीमिया से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. अत्यधिक थकान और सांस लेने में तकलीफें, चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना,सिरदर्द, पीली त्वचा, तेज दिल की धड़कन, कम रक्तचाप आदि एनीमिया के लक्षण हैं. महिलाओं और किशाेरियों को समय-समय पर हीमोग्लोबिन की जांच अवश्य करानी चाहिए. जांच में एनीमिया ग्रसित पाए जाने पर चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों की ओर से संबंधित लाभार्थियों को आइवी आयरन सुक्रोज का लाभ उपलब्ध कराना चाहिए. स्वास्थ्यकर्मी एनीमिया ग्रसित महिलाओं को आइवी आयरन सुक्रोज लगवाना सुनिश्चित करें. डीपीएम नीलेश कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को पूरा करने के लिए आयरन और कैल्सियम की दवाओं के बाद अब आयरन सुक्रोज इंजेक्शन से गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को दूर किया जाता है. एनीमिया के इलाज का एक तरीका नसों में आयरन या आयरन का इंजेक्शन है, जिसे शरीर में आयरन और हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने के लिए सुई के माध्यम से नस में पहुंचाया जाता है.प्रशिक्षण कार्यक्रम में ये रहे मौजूद
प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन जिला स्वास्थ्य समिति, यूनिसेफ व एम्स पटना की ओर से संयुक्त रूप से किया गया है. इस मौके पर डीपीएम नीलेश कुमार, डीआइओ डॉ राजीव अंबष्ट, यूनिसेफ से राज्य सलाहकार प्रकाश सिंह तथा पोषण पदाधिकारी डॉ संदीप घोष, एम्स से डॉ संतोष कुमार आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है