Gaya News : सीयूएसबी में विकसित किया जायेगा हर्बल गार्डन

Gaya News : प्राचीन काल से ही भारतीय चिकित्सा प्रणाली विश्वभर में प्रख्यात है और आज के तकनीकी रूप से विकसित दुनिया में भी पुराने घरेलू नुस्खे काफी उपयोगी हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | September 24, 2024 7:05 PM
an image

गया. प्राचीन काल से ही भारतीय चिकित्सा प्रणाली विश्वभर में प्रख्यात है और आज के तकनीकी रूप से विकसित दुनिया में भी पुराने घरेलू नुस्खे काफी उपयोगी हैं. सर्दी-खांसी से लेकर बदहजमी या कई अन्य तरह की बीमारियां घरेलू नुस्खों व प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली से त्वरित रूप से ठीक हो जाती हैं. वर्तमान परिदृश्य में हमें प्राचीन भारतीय चिकित्सीय पद्धति को अपने जीवन में अपनाने के साथ ज्यादा से ज्यादा विकसित करने का प्रयास करना चाहिए. उक्त बातें सीयूएसबी के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने स्वास्थ्य विज्ञान पीठ के फार्मेसी विभाग द्वारा आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह के समापन समारोह में कही. कुलपति ने प्रशासनिक भवन में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थियों, प्राध्यापकों, अधिकारियों व कर्मयोगियों को संबोधित करते हुए कहा कि सीयूएसबी प्राचीन भारतीय चिकित्सीय पद्धति को अपनाने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है. अतः विश्वविद्यालय में एक विशेष हर्बल गार्डन को विकसित किया जायेगा, जिसमें औषधीय पौधे उगाये जायेंगे. इस अवसर पर कुलपति प्रो केएन सिंह ने कार्यक्रम की उपयोगिता एवं समाज के स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं के लिए फार्मेसी के छात्रों एवं संबंधित कर्मचारियों की महत्ता पर प्रकाश डाला.

नुक्कड़ के माध्यम से गांववालों को किया जागरूक

पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि इस अवसर पर कुलपति के साथ वित्ताधिकारी रश्मि त्रिपाठी, डिप्टी प्रॉक्टर डॉ मंगलेश कुमार मंगलम, सहायक कुलसचिव शशि रंजन, स्वास्थ्य पीठ के डीन डॉ सुब्रत भट्ट मिश्रा, फार्मेसी विभाग के अध्यक्ष डॉ विवेक दवे व अन्य प्राध्यापक डॉ गिरीश सिंह, डॉ बिभाश मोहंता व डॉ अरुण कुमार उपस्थित रहे. फार्मेसी विभाग के छात्रों द्वारा आम जनता को दवाओं के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभाव की जानकारी देने और उसे उचित पटल पर रिपोर्ट करने के लिए जागरूक करने के उद्देश्य के निहित एक नुक्कड़-नाटक एवं रैली का आयोजन किया गया. उल्लेखनीय है कि फार्माकोविजिलेंस, दवाओं की सुरक्षा की निगरानी करने और दवाओं से जुड़ी प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं को रोकने, पता लगाने और आकलन करने की प्रक्रिया है. अंत में कुलपति ने छात्रों द्वारा आयोजित जागरूकता रैली को झंडी दिखा कर विदा किया. यूनिवर्सिटी बस से विभाग के छात्र धर्मशाला गांव पहुंचे जहां नुक्कड़ नाटक एवं पत्रक के माध्यम से लोगों को दवाओं के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभाव की जानकारी दी गयी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version