मानपुर. फल्गु नदी के पूर्वी तट पर सीता कुंड मंदिर परिसर में नौवीं तिथि को बालू से पिंडदान के कर्मकांड की मान्यता है. इसके पीछे कहानी भी छिपी है. मान्यता है कि त्रेता युग में सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था. कहा जाता है कि राजा दशरथ के मृत्यु उपरांत उनके पुत्र प्रभु श्रीराम अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ फल्गु नदी के पूर्वी तट नागकूट पर्वत के नीचे पिंडदान करने आये थे. उस समय नागकूट पर्वत के आसपास काफी जंगल हुआ करता था. इधर, सीता को फल्गु नदी के पूर्वी तट पर एक पहाड़ी के नीचे बैठाकर पिंडदान कर्मकांड का सामान खरीद करने निकल गये. लेकिन, समय के अंदर पिंडदान का सामान खरीद कर नहीं लौट सके. तभी जमीन के अंदर से एवं ब्रह्मांड से आवाज सुनाई दी कि पुत्री सीता आप समय पर राजा दशरथ (ससुर) का पिंडदान कर दें. इस पर सीता ने फल्गु नदी से बालू निकाला और राजा दशरथ जी का पिंडदान कर दिया .
काफी संख्या में पिंडदानियों पूर्वजों का किया पिंडदान
इधर, सीताकुंड पर देश विदेश से आये पिंडदानियो ने बालू से पिंडदान किया और अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलायी. सुरक्षा को लेकर स्थानीय प्रशासन ने मुकम्मल व्यवस्था भी कर रखी थी. माता सीता पथ से लेकर रबर डैम तक भीड़ उमड़ी रही. तेज पानी से लोग भींगते हुए भी पिंडदान पूरा करते रहे. डीएसपी सुनील कुमार पांडेय एवं थानाध्यक्ष रघुनाथ प्रसाद समेत दंडाधिकारी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है