बोधगया. बोधगया के कालचक्र मैदान में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ रविवार को मंगल कलश यात्रा के साथ हुआ. दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा कलश यात्रा का आयोजन शांति, सद्भाव और आध्यात्मिकता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया. कलश यात्रा में एक हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने कलश लेकर पूरे उत्साह के साथ भाग लिया. कलश यात्रा का प्रारंभ कथा स्थल कालचक्र मैदान से बिरला धर्मशाला, महाबोधि मंदिर क्षेत्र, मियां बिगहा, बाइपास रोड, गया बोधगया रोड, पच्छट्टी व श्री जगन्नाथ मंदिर होते हुए कथा स्थल कालचक्र मैदान पंहुची. आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी यादवेंद्रानंद, स्वामी सुकर्मानंद, नगर पर्षद की अध्यक्ष ललिता देवी ने झंडा दिखा कर मंगल कलश यात्रा का शुभारंभ कराया. मार्ग पर भक्तों ने भजन-कीर्तन करते हुए आध्यात्मिकता और शांति का संदेश फैलाया. मार्गों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया. कलश शोभायात्रा में 1101 महिलाएं व कन्याओं ने भाग लिया.
भारतीय संस्कृति के प्राण चिरकाल से ही आध्यात्मिकता में बसे हैं : डॉ सर्वेश्वर
सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के पहले दिन आशुतोष महाराज के शिष्य डॉ सर्वेश्वर ने बताया कि भारतीय संस्कृति के प्राण चिरकाल से ही आध्यात्मिकता में बसते हैं. इसी आध्यात्मिक शक्ति के संवाहक रहें हैं हमारे ग्रंथ. इन्हीं पुराणों का सार प्रभु की पावन कथा द्वारा संतों महापुरुषों के माध्यम से समाज में प्रसारित किया जाता रहा है. उन्होंने कहा कि अगर बात करें भगवान भोलेनाथ की पावन कथा की तो आज भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में भगवान शिव के असंख्य भक्त उनकी उपासना करते हैं. जब-जब समाज से शिव तत्व लुप्त हुआ तब-तब समाज पतन को प्राप्त हुआ है. आज समाज में व्याप्त हिंसा, वैमनस्य, मतभेद सब शिव तत्व का समाज से विलुप्तिकरण ही दर्शाते हैं और प्रभु की यह पावन कथा उसी सनातन शिव तत्व को उजागर करने आयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है