Gaya News : बंजर भूमि का बढ़ना, खराब वायु गुणवत्ता व जलस्तर में गिरावट खतरनाक
Gaya News : विकास कार्यक्रमों में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (सीसीए) को मुख्यधारा में लाने के विषय पर आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का समापन हो गया.
गया. विकास कार्यक्रमों में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (सीसीए) को मुख्यधारा में लाने के विषय पर आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का समापन हो गया. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में सीयूएसबी के जलवायु परिवर्तन व जीवन केंद्र ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआइडीएम) व बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (बीएसडीएमए) के सहयोग से कार्यशाला का आयोजन किया था. अंतिम दिन सत्र की शुरुआत डीयू के प्रो जीके पांडा के आपदा प्रबंधन में प्रतिमान बदलाव और सतत ग्रामीण विकास की चुनौतियां विषय पर व्याख्यान से हुई. उन्होंने प्राथमिकताओं और 2030 तक एसएफडीआरआर के लक्ष्य पर भी जोर दिया. जेएनयू के प्रो कौशल कुमार शर्मा ने कार्यशाला के विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए रेगिस्तानीकरण, बंजर भूमि निर्माण, खराब वायु गुणवत्ता, जल स्तर में गिरावट व परिणामी पलायन जैसी अदृश्य (मूक) आपदाओं के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में डीआरआर व सीसीए को मुख्यधारा में लाना लचीले ग्रामीण समुदायों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने इस तथ्य पर जोर देकर अपने व्याख्यान का समापन किया कि कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यह ग्रामीण और सामाजिक मूल्यों से भी जुड़ी है. इसलिए इसे नीति निर्माण व उनके कार्यान्वयन में प्रमुख महत्व दिया जाना चाहिए. सीयूएसबी प्रो प्रधान पार्थ सारथी ने भारत के पूर्वी गंगा के मैदान पर जलवायु चरम पर एक व्याख्यान दिया, जिसके आधार पर उन्होंने 1979-2018 के दौरान कोसी और पुनपुन नदी घाटियों वाले क्षेत्रों में हीटवेव, शीतवेव, चक्रवात आधारित बादल मौसम और वर्षा की घटनाओं का विश्लेषण किया. बीएसडीएमए मुकुंद कुमार ने विभिन्न जनसंचार माध्यमों, जैसे विज्ञापन फिल्मों, मोबाइल एप्लिकेशन, सोशल मीडिया, नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से जनता में जागरूकता फैलाने के लिए बीएसडीएमए द्वारा की जा रही गतिविधियों को साझा किया.
आपदा के प्रबंधन में क्षेत्रीय स्तर की नीतियों की जरूरत
एडीएम पंकज कुमार ने आपदाओं से निपटने के अपने व्यक्तिगत प्रशासनिक अनुभव साझा किये व सरकारी नीतियों में अनुसंधान के कार्यान्वयन पर जोर दिया. मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार में केवीआइसी के सदस्य मनोज कुमार सिंह ने विकास कार्यक्रमों, बुनियादी ढांचे व जलवायु परिवर्तन पर अपने विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने आपदा के प्रबंधन में क्षेत्रीय स्तर की नीतियों की वकालत की व बुनियादी सुविधाओं की कमी और अनुचित विकास के कारण ग्रामीण से शहरी पलायन पर अपनी चिंता जतायी जो पहाड़ी क्षेत्रों में कई क्षेत्रों के लिए अभिशाप बन गया है. चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ मंजीत सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन व प्रतिभागियों, संसाधन व्यक्तियों और स्वयंसेवकों को प्रमाण पत्र वितरित करने के साथ हुआ.
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