Gaya News : भारतीय ज्ञान परंपरा वर्तमान परिदृश्य में प्रासंगिक

Gaya News : भारतीय ज्ञान परंपरा हमेशा प्रासंगिक है और वर्तमान परिदृश्य में उच्च शिक्षा में इसके समावेशन से उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त होंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | September 29, 2024 8:18 PM

गया. भारतीय ज्ञान परंपरा हमेशा प्रासंगिक है और वर्तमान परिदृश्य में उच्च शिक्षा में इसके समावेशन से उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त होंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा को गंभीरता से लिया गया है और इसको प्रभावी तौर पर अपनाने के सुझाव दिये गये हैं. उच्च शिक्षण संस्थानों को एनइपी 2020 के आधार पर भारतीय ज्ञान परंपरा अपनाने की आवश्यकता है, जिससे विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है. उक्त वक्तव्य मुख्य वक्ता के रूप में प्रख्यात मनोवैज्ञानिक तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के पूर्व कुलपति प्रो गिरीश्वर मिश्र ने सीयूएसबी के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) द्वारा मनोविज्ञान विभाग के सहयोग से आयोजित आठ दिवसीय ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम ( शिक्षक विकास कार्यक्रम – एफडीपी) में कहीं. प्रो गिरीश्वर मिश्र ने भारतीय ज्ञान परंपरा के उच्च शिक्षा में समावेश पर चर्चा करते हुए प्राचीन एवं वर्तमान शिक्षा पद्धतियों में मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर भी चर्चा की. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की यूजीसी मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (एमएमटीटीपी) की योजना के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020-उन्मुखीकरण और संवेदीकरण कार्यक्रम नामक आठ दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण का आयोजन मनोविज्ञान विभाग द्वारा किया गया है. इस कार्यक्रम के समन्वयक प्रो धर्मेंद्र कुमार सिंह और डॉ चेतना जायसवाल हैं.

विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने साझा किये विचार

आइआइटी, खड़गपुर के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग से प्रो रवींद्र कुमार प्रधान ने अकादमिक नेतृत्व, शासन और प्रबंधन पर केंद्रित भाषण दिया. सामाजिक विकास परिषद, नयी दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो अशोक पंकज ने उच्च शिक्षा में शोध परियोजना प्रस्ताव और वित्त पोषण पहलुओं को कैसे विकसित किया जाये, विषय पर अपने विचार रखे. स्कूल ऑफ वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली से प्रो राणा संजय प्रताप सिंह ने एनइपी 2020 के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए इसकी प्रासंगिकता को साझा किया. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से शिक्षा संकाय के डीन, प्रो अंजलि वाजपेयी ने उच्च शिक्षा में बहु विषयक शिक्षा, लचीले और अभिनव पाठ्यक्रम के बारे में चर्चा की. अंत में डीडीयू, गोरखपुर से मनोविज्ञान विभाग के प्रो धनंजय कुमार ने सूचना और संचार प्रौद्योगिकी विषय के अंतर्गत शोध में अनुसंधान उपकरण पर अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम का समग्र निर्देशन सीयूएसबी एमएमटीटीसी के निदेशक डॉ तरुण कुमार त्यागी द्वारा किया गया और उन्होंने एनइपी 2020 पर आधारित एफडीपी के उद्देश्यों को साझा किया. विभिन्न सत्रों के अंत में धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी निशि श्रीवास्तव, उन्नीकन्नन, मगध विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ चांदनी रोशन, डॉ कविता कुमारी, पंजाब विश्वविद्यालय की डॉ जसप्रीत कौर व केएसएस कॉलेज, लखीसराय की डॉ स्मृति कुमारी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ.

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