Gaya News : चरथ भिक्खवे यात्रा में शामिल साहित्यकारों ने छोड़ी छाप
Gaya News : बौद्ध परिपथ पर केंद्रित ''चरथ भिक्खवे'' यात्रा बुधवार की सुबह नालंदा के लिए रवाना हो गयी. इससे पहले मंगलवार शाम अपने दूसरे पड़ाव पर बोधगया पहुंची थी व प्रो सदानंद शाही के नेतृत्व में सभी ने महाबोधि मंदिर में दर्शन - पूजा की.
बोधगया. बौद्ध परिपथ पर केंद्रित ””चरथ भिक्खवे”” यात्रा बुधवार की सुबह नालंदा के लिए रवाना हो गयी. इससे पहले मंगलवार शाम अपने दूसरे पड़ाव पर बोधगया पहुंची थी व प्रो सदानंद शाही के नेतृत्व में सभी ने महाबोधि मंदिर में दर्शन – पूजा की. इसके बाद राजस्व प्रशिक्षण संस्थान में ””देशज बुद्ध”” पुस्तक का विमोचन किया गया. अनेक विद्वानों की संगति में साहित्य, संस्कृति और समाज तथा अनेक विषयों पर इस कार्यक्रम ने सचल कार्यशाला के रूप में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पुस्तक के प्रधान संपादक रणेंद्र ने विषय प्रवेश में बुद्ध के विचारों और बौद्ध धर्म की संस्कृति तथा झारखंड की आदिवासी संस्कृति के मध्य आदान-प्रदान के संदर्भ में अपनी बात रखी. झारखंड में प्रचलित बुद्ध की अनेक किंवदंतियों का पुरावशेषों के आधार पर विश्लेषण इस पुस्तक में किया गया है. यात्रा के संयोजक प्रो शाही ने देश को जानने, उसकी प्रतीति करने और अंततः उससे सच्चा प्रेम करने के संदर्भ में ””चरथ भिक्खवे”” यात्रा के मूल भाव को व्यक्त किया. उन्होंने बुद्ध के संबंध में नये तथ्यों की दिलचस्प खोज के लिए रणेंद्र को बधाई दी और उम्मीद जताई कि मैत्री, करुणा, सद्भाव का व्यापक संदेश जन-जन तक पहुंच सकेगा.
बुद्ध के पथ का अनुसरण आज और अधिक प्रासंगिक
प्रो रामसुधार सिंह ने ढाई हजार साल पहले राजकुमार सिद्धार्थ के बुद्ध बनने की यात्रा तथा उस समय प्रचलित धार्मिक और सामाजिक रूढ़ियों से संघर्ष की बात की. इंग्लैंड में पले-बढ़े और बोधगया में ””द रुट फाउंडेशन”” के निदेशक कबीर सक्सेना ने तिब्बती बौद्ध परंपरा द्वारा नालंदा ज्ञान परंपरा को वर्तमान समय में आगे बढ़ाने की बात रखी. मुख्य अतिथि और ””अंधेरे में बुद्ध”” की लेखिका डॉ गगन गिल ने यात्रा के सांस्कृतिक-साहित्यिक महत्त्व को रेखांकित किया. उन्होंने ””देशज बुद्ध”” पुस्तक के संपादक रणेंद्र की सराहना भी की. उन्होंने बताया कि बुद्ध के पथ का अनुसरण आज और अधिक प्रासंगिक हो गया है. कार्यक्रम की अध्यक्षा और वरिष्ठ आलोचक डॉ रंजना अरगड़े ने अपने जीवन के प्रमुख उद्देश्यों में एक, बोधगया आने के बारे में बताया. मंच संचालन डॉ परम प्रकाश राय व आभार ज्ञापन कार्यक्रम के स्थानीय संयोजक डॉ राकेश कुमार रंजन ने किया. इस अवसर पर डॉ अनुज लुगून, डॉ पृथ्वीराज सिंह, डॉ शैलेंद्र, डॉ पिंटू कुमार, डॉ अनुज कुमार तरुण, डॉ अम्बे कुमारी, डॉ रमाशंकर सिंह, प्रकाश उदय, डॉ कुणाल किशोर, अंशुप्रिया, चाहत अन्वी, रवींद्र, अलोक की विशिष्ट उपस्थिति के अतिरिक्त मगध विश्वविद्यालय व दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के अनेक विभागों के विद्यार्थियों की सक्रिय उपस्थिति रही. कार्यक्रम के बाद ””साखी”” पत्रिका के ””बुद्ध की धरती पर कविता”” अंक और ””बुद्ध के बढ़ते कदम”” अंक को विद्यार्थियों, शिक्षकों ने पढ़ा और खरीदा. बुधवार की सुबह यात्रा अपने अगले पड़ाव नालंदा व राजगीर को रवाना हो गयी.
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