गया. छोटी बीमारियों से पीड़ित लोगों को भी पीएचसी, अनुमंडलीय अस्पताल व सदर अस्पताल से मरीजों को मगध मेडिकल मरीज रेफर कर दिया जा रहा है. हालात यह है कि एक वर्ष से एएनएमएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गयी है. इमरजेंसी वार्ड में हर दिन हालात यह रहता है कि यहां पर इमरजेंसी लायक मरीज को अंदर लाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिलता है. स्ट्रेचर मिल गया, तो बेड के लिए काफी मशक्कत करनी होती है. यहां बेड फुल रहता है और स्ट्रेचर से लेकर कुर्सी तक मरीजों को रखकर इलाज किया जाता है. अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, हर दिन इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की संख्या 150 से पार रहती है, जबकि यहां पर बेड की संख्या महज 60 ही है. अस्पताल सूत्रों ने बताया कि यहां पर पुलिस केस वाले मरीज जान बूझकर रेफर कराकर पहुंचते हैं. रेफर कराने के लिए ओहदेदार लोगों से पैरवी तक कराते हैं. उनके दिमाग में यह रहता है कि बड़े अस्पताल में आने से उनका केस मजबूत हो जायेगा. सच्चाई यह है कि यहां आने पर सिर्फ अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ती है. इंज्यूरी रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं होता. पीएचसी व अनुमंडल अस्पताल से रेफर मरीज यहां आकर एडमिशन के बाद बाहर घूमते रहते हैं.
क्या कहते हैं अधीक्षकरेफर मरीज को भर्ती लेना मजबूरी
पीएचसी, अनुमंडल व सदर हॉस्पिटल के अलावा अन्य किसी जगह से रेफर या फिर ऐसे भी मरीज के आने पर उसे भर्ती लेकर इलाज शुरू कर देना हमारी जिम्मेदारी है. हालांकि, देखा जाये, तो पीएचसी, अनुमंडल व सदर से ज्यादातर ऐसे मरीज को रेफर किया जाता है जिनका इलाज वहां भी आसानी से किया जा सकता है. इसके चलते इमरजेंसी वार्ड में अधिक भीड़ हो जाती है.
डॉ केके सिन्हा, अधीक्षक, एएनएमएमसीएचक्या कहते हैं सिविल सर्जन
स्थानीय स्तर पर इलाज के लायक मरीज को रेफर करना पूरी तौर से गलत है. पीएचसी, अनुमंडल व सदर हॉस्पिटल में हर तरह के संसाधन के साथ पर्याप्त संख्या में कर्मचारी व डॉक्टर की तैनाती है. इसके बाद भी मामूली मरीज को रेफर कर देना उचित नहीं है. इस बारे में अस्पतालों के प्रभारी से बात कर रेफर के आदत को बंद कराया जायेगा. गंभीर मरीजों को रेफर किया जायेगा.डॉ प्रभात कुमार, सिविल सर्जन
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