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Gaya News : गया में मधुबनी पेंटिंग की कार्यशाला में जुटे दो पद्मश्री सहित राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता

Gaya News : गया के किलकारी भवन में मधुबनी पेंटिंग की छह दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन नयी दिल्ली स्थित नेपाल दूतावास के प्रथम सचिव विजय राज तंदुकर ने किया. कार्यशाला का आयोजन स्वयंसेवी संस्था आसरा सेवा केंद्र ने किया है.

गया. गया धार्मिक सहिष्णुता व सौहार्द की जमीन के रूप में भी जाना जाता है. यहां मधुबनी पेंटिंग को लेकर कार्यक्रम का आयोजन महत्वपूर्ण है. इसमें भगवान बुद्ध की जन्म स्थली नेपाल की लुंबिनी व ज्ञान प्राप्ति स्थल बोधगया तक के वृतांत का थीम शामिल है. इससे भारत व नेपाल के संबंध कला के माध्यम से और प्रगाढ़ व सौहार्द्रपूर्ण होंगे. ये बातें गया के किलकारी भवन में मधुबनी पेंटिंग की छह दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन में पहुंचे नयी दिल्ली स्थित नेपाल दूतावास के प्रथम सचिव विजय राज तंदुकर ने कही. कार्यशाला का आयोजन स्वयंसेवी संस्था आसरा सेवा केंद्र ने नेपाल दूतावास के बीपी काेइराला इंडिया-नेपाल फाउंडेशन के सहयोग से गया के किलकारी बिहार बाल भवन में 25 अक्तूबर तक किया जायेगा. मिथिला पेंटिंग कार्यशाला का उद्घाटन महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सचिव डॉ महाश्वेता महारथी, नेपाल दूतावास के प्रथम सचिव विजय राज तंदुकर और बिहार संग्रहालय पटना के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. समारोह के मुख्य अतिथि महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति बोधगया की सचिव डाॅ महाश्वेता महारथी ने कहा कि दुनिया के महान व प्रमुख धर्मों में बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है. महात्मा बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में और ज्ञान की प्राप्ति बिहार के बोधगया में हुई थी. इसलिए बौद्ध धर्म धर्मावलंबियों के बीच यह दोनों स्थल बहुत ही पूज्य हैं. यहां कार्यशाला आयोजित किया जाना बहुत ही सराहनीय कदम है. बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि इस कार्यशाला में दो पद्मश्री, दो राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और छह राज्य पुरस्कार विजेता कलाकार भाग ले रहे हैं. यह कार्यशाला अपने आप में अनूठा है. सभी ने उपेंद्र महारथी को भी याद किया. किलकारी मगध प्रमंडल के कार्यक्रम समन्वयक राजीव रंजन श्रीवास्तव, डीपीओ दुर्गा यादव, आसरा सेवा केंद्र के सचिव कैलाश प्रसाद सिंह, आसरा सेवा केंद्र के फिरदौस कौसर व अन्य थे.

कला ने ही मुझे पहचान दिलायी है : पद्मश्री शांति देवी

कार्यशाला में शामिल पद्मश्री शांति देवी ने बताया कि उनका बचपन काफी झंझावतों से गुजरा है. कला ने ही मुझे पहचान दिलायी है. गया पहुंचकर अच्छा लग रहा है. लोगों का काफी प्यार मिल रहा है. मधुबनी पेंटिंग का ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकूं मेरा सौभाग्य होगा. कला से नयी पीढ़ि ज्यादा से ज्यादा परिचित हों. महात्मा बुद्ध के जन्म से लेकर ज्ञान प्राप्ति स्थल बोधगया तक के वृतांत पर पेंटिंग से कला प्रेमी रूबरू होंगे. भगवान बुद्ध को जान सकेंगें.

मजदूर थी, मधुबनी पेंटिंग ने सम्मान दिया : पद्मश्री दुलारी देवी

कार्यशाला में शामिल पद्मश्री दुलारी देवी ने मिथिला भाषा में कहा कि मेरा बचपन गरीबी में गुजरा है. मछुआरा परिवार से आती हूं. मैं मजदूर थी, दूसरों के घरों में काम करती थी. लेकिन सीखने की चाहत ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया. मेरे मालिक जहां मैं काम करती थी, उन्हीं से सीखा. आज इस मुकाम तक पहुंची हूं. गया में लोगों का काफी प्यार मिल रहा है. ज्यादा लोगों को कला सीखा सकूं मुझे खुशी होगी.

ये हस्तियां होंगी कार्यक्रम में शामिल

कार्यशाला में पद्मश्री से सम्मानित शांति देवी, दुलारी देवी, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता विभा लाल, राज्य पुरस्कार विजेता अवधेश कुमार कर्ण, अंबिका देवी, हेमा देवी, श्रवण पासवान, भगवान ठाकुर, नलिनी शाह व राकेश पासवान के द्वारा पेंटिग तैयार की जायेगी. जिसमें लुंबिनी से लेकर बोधगया तक भगवान बुद्ध के जीवन वृतांत पर अलग अलग कलाकार पेंटिंग कैनवास पर उतारेंगे.

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