गया. कोरोना काल में लोग जान बचाने के लिए मुंहमांगे दामों पर ऑक्सीजन सिलिंडर इंतजाम करने में जुटे हुए थे, एएनएमएमसीएच में इसी दौरान कई ऑक्सीजन गायब हो गये थे. जांच के तीन वर्ष बितने के बाद भी इसमें अब तक जिम्मेदारी नहीं तय की जा सकी है. इधर एक बार फिर ऑक्सीजन सिलिंडर का मामला गर्मा गया है. जांच में पहले भी कई तरह के घालमेल सामने आ चुके हैं. अब एक बार फिर मामला जोर पकड़ने लगा है और कई रिटायर्ड अधिकारियों की चिंता भी बढ़ने लगी है. पहले कई अधिकारियों ने इस मामले में बनायी गयी जांच कमेटी से अपने आप को अलग कर लिया. अब यह मामला पुलिस के जिम्मे है. अधीक्षक की ओर से जांच कर रिपोर्ट देने का आग्रह पुलिस अधिकारी से किया गया है. अस्पताल में सिलेंडर हेराफेरी का मामला विधान परिषद सदस्य रामचंद्र पूर्वे पहले उठा चुके हैं. इसके बाद अब यह सिलेंडर की चर्चा हर स्तर पर कर्मचारियों के बीच एक बार फिर है.
जिम्मेदारी को लेकर उठ रहे सवाल
अस्पताल के स्टोर में दवा, ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए फार्मासिस्ट की तैनाती की गयी है. इसके बाद भी इस मामले में इसके जिम्मेदार को जांच से अब तक अलग ही रखा गया है. इसके बाद आरोपित क्लर्क ने अपनी जिम्मेदारी नहीं होने संबंधित आवाज उठायी है. दो दिन पहले ही आरोपित क्लर्क इस मामले में अधीक्षक को आवेदन दिया है.ऐसे उजागर हुआ मामला
चार-पांच वर्षों से ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद अस्पताल प्रशासन की ओर से नहीं होने के बाद भी स्टोर में 70-से 80 नये ऑक्सीजन सिलेंडर रखे हुए मिले. इस पर हर कर्मचारी ने आश्चर्य व्यक्त किया. उस वक्त के अधीक्षक ने भी नये सिलेंडर के बारे में कहा था कि नया सिलेंडर अस्पताल की ओर से नहीं खरीदा गया है. इसके बाद खुलासा हुआ कि एक कर्मचारी ने सिलिंडर गायब होने का आरोप लगने के बाद खरीद कर रख दिया. इसके बाद प्रभात खबर में समाचार प्रकाशित हुई, ताे खबर के अनुरूप ही जांच कमेटी ने भी रिपोर्ट दी. अस्पताल से 1000 बड़े ऑक्सीजन सिलिंडर के गायब होने की शिकायत सामने आयी. इसके बाद यह मामला और गर्माया. अस्पताल प्रशासन की ओर से एफआइआर करायी गयी. बाद में इस मामला को दबाने के लिए बहुत सारी प्रक्रिया को पूरा किया गया. इसके बाद भी यह मामला अब तक उठते रह रहा है. इसमें अब तक किसी तरह का फैसला नहीं हो सका. एक आरटीआइ के जवाब में अस्पताल प्रशासन की ओर से बताया गया कि बिना मांग पत्र के ही 21800 ऑक्सीजन सिलिंडर खर्च कर दिये गये हैं. इसके बाद प्रभात खबर में इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया. इसके जांच के लिए अस्पताल अधीक्षक ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया. इस मामले में कमेटी ने रिपोर्ट दी कि यह मामला बहुत ही गंभीर है.क्या कहते हैं अधीक्षक
यह मामला बहुत ही गंभीर है. ऑक्सीजन सिलिंडर के मामले में विभाग से रिपोर्ट की मांग की गयी थी. लोग अभियोजक के सलाह पर पहले के अधीक्षक ने जांच कर केस दर्ज करने के लिए एसएसपी को पत्र दिया था. कोई जवाब नहीं आने पर दोबारा इसमें रिमाइंडर पत्र एसएसपी को दिया गया था. अस्पताल कर्मियों ने बताया कि एक दिन डीएसपी पूछताछ करने यहां आये थे. उसके बाद अब तक इस मामले में जांच रिपोर्ट नहीं दी गयी है. पुलिस जांच रिपोर्ट आने के बाद विभाग को भेजा जायेगा.
डॉ केके सिन्हा, अधीक्षक, एएनएमएमसीएचडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है