गया. मानसिक स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार भारत के 14 प्रतिशत लोग किसी न किसी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से ग्रस्त है. जानकारी व सुविधाओं के अभाव में इसे ठीक करने के लिए समुचित जगह तक नहीं पहुंच पाते हैं. तनाव, चिंता किसी भी समस्या का हल नहीं बल्कि कई अन्य समस्याओं को इससे जन्म लेने का मौका मिलता है. इससे सिरदर्द, माइग्रेन, उच्च या निम्न रक्तचाप, हृदय से जुड़ी समस्याएं व मोटापा व्यक्ति के स्वभाव को चिड़चिड़ा कर उसके जीवन की खुशियां व चेहरे की मुस्कान चुरा लेती हैं. समय पर मनोचिकित्सक के पास पहुंच कर इसका निदान निकाला जा सकता है. उक्त बातें एएनएमएमसीएच के मनोराग विभाग में विश्व विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के मौके पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए मनोरोग चिकित्सक डॉ ताकुम मोखोली ने बुधवार को कही. चार से 10 अक्तूबर के बीच हर वर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह मनाया जाता है. आइएमए के अध्यक्ष डाॅ चौधरी लक्ष्मी नारायण ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के बारे में जानकारी का सख्त अभाव है. इसके कारण लोग समझ नहीं पाते कि उनके समस्याओं का मुख्य कारण किसी मनोरोग के वजह से है. दुश्चिंता और अवसाद से ग्रस्त लोगों को बहुधा श्वास की तकलीफ, छाती में दर्द, सरदर्द, नींद की परेशानी और इस तरह की दूसरी परेशानी हो सकती है. उन्होंने कहा कि गंभीर प्रकार के मनोरोगों को बहुधा भूत प्रेत का प्रकोप समझा जाता है और लोग झाड़ फूंक जैसे उपाय अपनाने लगते हैं. इससे हर किसी को बचना चाहिए.
कार्यस्थल के तनाव को रोकना जरूरी
इस मौके पर मनोरोग विभाग के अध्यक्ष डॉ अभय कुमार ने कहा कि इस वर्ष का विषय कार्य स्थल मानसिक स्वास्थ्य के देखभाल से संबंधित है. आज के व्यस्त जीवन में कार्य स्थल पर समस्याएं बहुधा तनाव पैदा करते हैं और व्यस्त जीवन शैली के कारण लोग इसका उचित देखरेख नहीं कर पाते है. लोगों को इस संबंध में सजग रहने की आवश्यकता है और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना अनिवार्य है. जेपीएन अस्पताल में कार्यरत मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ डॉ मधु गुप्ता ने मानसिक तनाव के विभिन्न कारणों के बारे में बताया और उनके निदान और तनाव मुक्ति के बारे में एक प्रदर्शित कर के भी बताया. इस अवसर पर भारतीय चिकित्सा संघ गया शाखा व एएनएमएमसीएच के मनोरोग विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक जागरूकता कार्यक्रम सह सेमिनार का आयोजन किया गया. इस मौके पर अस्पताल में कार्यरत हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ राजेंद्र प्रसाद, श्वसन रोग विशेषज्ञ डा यूएन शर्मा, दंत रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ समीर जैन और त्वचा रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ प्रेम प्रकाश प्रभाकर आदि मौजूद थे.
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