बोधगया. महाबोधि सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित तीन दिवसीय पत्रीजी बोधगया ध्यान महायज्ञ के अंतिम दिन बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही. देश-विदेश से आये हजारों श्रद्धालुओं ने कार्यक्रम में भाग लेकर इस महायज्ञ को सफल बनाया. सुबह 5.30 बजे कार्यक्रम की शुरुआत लाइव संगीत ध्यान कार्यक्रम से हुई, जिसमें एकत्रित होकर लोगों ने ध्यान किया. कार्यक्रम के अगले सत्र में कई मास्टर्स ने ध्यान से संबंधित अपने विचार रखे. आंध्र प्रदेश से आयीं इनकम टैक्स अधिकारी मास्टर शोभा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वह कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित थीं, पर ध्यान के जरिये अब स्वस्थ हैं. उन्होंने बताया कि आंध्रप्रदेश में पांच लाख से अधिक बच्चों को ध्यान सिखाया और पौने तीन लाख बच्चों के बीच निशुल्क ध्यान की किताबें वितरित की. इस ध्यान कार्यक्रम में विशेष रूप से बेंगलुरू से शामिल होने आयी परिणीता पत्री ने कहा कि देश में 25 हजार से अधिक पिरामिड बनाये गये हैं और बोधगया में लोगों की सहायता से मेगा पिरामिड सेंटर बनवाने का संकल्प लिया गया है. पिरामिड के अंदर बैठ कर ध्यान करने से शरीर में कॉस्मिक एनर्जी का संचार होता है, जिससे शारीरिक कष्ट दूर होता है और मानसिक शांति मिलती है. दक्षिण भारत से बोधगया आये मास्टर मिता मनोहर ने कहा कि पापों से मुक्त होना है तो ध्यान साधना जरूरी है. ध्यान कही भी किया जा सकता है. मंदिर, मास्टर की समाधि, पिरामिड व प्राकृतिक वातावरण में ध्यान कर के शरीर में ऊर्जा का संचार होता है. गुजरात से आये प्राकृतिक चिकित्सक (नेचुरोपैथी डॉक्टर) डॉ धीरेन सरीन ने अपने सत्र ””नो डॉक्टर नो मेडिसिन, गोली को गोली मारो”” में कहा कि शरीर, मन, और आत्मा पर संयम रखने से बीमारियां दूर होंगी. उन्होंने बताया कि उन्होंने हजारों मरीजों का इलाज किया व लाखों लोग ठीक हुए हैं. साथ ही, मानसिक अशांति, नकारात्मक विचार, लाइफ स्टाइल और भोजन में बदलाव जैसी चीजों पर उन्होंने प्रकाश डाला. सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने बिहार के लोक नृत्य एवं संगीत की प्रस्तुति दी. बोधगया ध्यान महायज्ञ की आयोजक स्वाति ने भव्य ध्यान महायज्ञ में सम्मिलित होने आये सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने कहा कि सहयोग और सहभागिता ने इस महायज्ञ को सफल और प्रेरणादायक बनाया है. आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा.
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