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Gaya News : मगध की धरती हमारी विरासत की पहचान

Gaya News : चांदचौरा स्थित सिजुआर भवन में आयोजित दो दिवसीय कला उत्सव के दूसरे दिन रविवार को समापन समारोह का आयोजन हुआ.

गया. चांदचौरा स्थित सिजुआर भवन में संस्कार भारती, बिहार प्रदेश, कला संस्कृति एवं युवा विभाग व डिवाइन सोशल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन का सात सितंबर से आयोजित दो दिवसीय कला उत्सव के दूसरे दिन रविवार को समापन समारोह का आयोजन हुआ. समापन सत्र के मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री सह कला संस्कृति मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि संस्कार भारती जिन पंच प्राण विषय पर आंचलिक भाषा आधारित उत्सव आयोजित कर रही है, वह सामाजिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है. ये विषय हमारे संस्कार को बढ़ायेगा. हमें सदैव अपनी कला संस्कृति से जुड़कर रहना होगा. हमारे संस्कार में कलाकारों को साधक का दर्जा दिया गया है. कलाकार अपनी कलाओं द्वारा सामाजिक बदलाव में महती भूमिका निभाते हैं. हमें अपनी विरासत का भी सम्मान करना होगा, यही विकास का द्वार है. मगध की धरती विरासत की पहचान है. यह तर्पण, अर्पण व सामाजिक समरसता की भूमि है.हम सभी को सामाजिक बदलाव के पंच प्राण विषयों को लेकर समाज में जागरूकता लानी होगा. इसके लिए सबको मिलकर पहल करने की जरूरत है. चाणक्य बनकर नयी पीढी व युवाओं के अंदर चंद्रगुप्त का बोध कराना होगा.

हम समरस समाज का निर्माण कर विकास कर सकते हैं

मुख्य वक्ता के रूप में जयपुर से आये वरिष्ठ साहित्यकार व राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ इन्दुशेखर तत्पुरुष ने कला में समाहित पंच प्राण के विभिन्न आयामों की व्याख्या करते हुए कहा कि पंच प्राण विषय व्यक्तित्व विकास, सामाजिक विकास व संपूर्ण राष्ट्र विकास के लिए आवश्यक है. कला के माध्यम से सामाजिक बदलाव संभव है. कला में बहुत ऊर्जा है. हमारे संस्कृति में भरतमुनि के नाट्यशास्त्र को पंचम वेद का स्थान दिया गया है. तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक समरसता की बात की है. हम समरस समाज का निर्माण कर विकास कर सकते हैं. समापन सत्र की अध्यक्षता संस्कार भारती के प्रांत उपाध्यक्ष पंडित राजेंद्र सिजुआर, मंच संचालन पंकज कुमार व विकास मिश्र ने किया.

कलाकारों ने बिखेरा जलवा

मगही कला उत्सव के दूसरे दिन सुबह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विभिन्न विधाओं का प्रदर्शन व शाम से रात नौ बजे तक विविध प्रस्तुतितों के सौंदर्य में मगही कला उत्सव रमता रहा. प्रातः में रामचरितमानस गीत के प्रसंगों का गायन हुआ. मगध की प्राचीन लोक परंपरा के वराह पूजा अनुष्ठान को लोकगाथा के माध्यम से हरि पासवान, भीम पासवान व जयराम ओझा जैसे वरिष्ठ लोक गायकों की प्रस्तुति ने मगध के सांस्कृतिक विरासत से परिचय कराया. इसके अलावा काव्य पाठ, लोक नृत्य, वादन व नाटक का मंचन स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की गयी. दिल्ली से आये प्रख्यात बांसुरी वादक व संस्कार भारती के अखिल भारतीय मंत्री, संगीत नाटक अकादमी सम्मान से विभूषित पंडित चेतन जोशी की बांसुरी वादन की प्रस्तुति हुई. पखावज घरानेदार युवा कलाकार गौरव शंकर उपाध्याय व सौरव शंकर उपाध्याय द्वारा युगल वादन की प्रस्तुति की गयी.

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