बोधगया. बोधगया स्थित धर्मारण्य में पिंडदान कर पिंडदानियों ने अपने पूर्वजों की आत्मा को ठौर दिलाया. पितरों की आत्मा को शांति दिलाने की कामना के साथ यहां पिंडदान किया गया व मंदिर परिसर स्थित यज्ञ कूप में पिंड अर्पित कर व अर्हट कूप में नारियल अर्पित कर मृतात्मा को शांति दिलाने की कामना की गयी. ऐसी मान्यता है कि प्रेत योनि में भटकती आत्मा को शांति दिलाने के लिए धर्मारण्य में पिंडदान व त्रीपिंडी श्राद्ध किया जाता है. पितृपक्ष के तृतीया तिथि को यहां पिंडदान करने का विधान है. पिंडदानी धर्मारण्य में पिंडदान करने के पहले पास से प्रवाहित मुहाने नदी में स्नान करते हैं व कर्मकांड को संपादित करते हैं. मंदिर परिसर के साथ ही आसपास स्थित खुले मैदान में भी ताड़ के पेड़ों के नीचे पिडदान करने में कोई परहेज नहीं है व यहां भी पिंडदान किया जा रहा है. मुहाने नदी में तर्पण का विधान है जिसे पिंडदानियों ने पूरा किया. धर्मारण्य के बाद पास स्थित मातंगवापी में भी पिंडदान किया गया व यहां भी अपने पितरों की आत्मा की शांति व मोक्ष की कामना की गयी. अहले सुबह करीब चार बजे से ही पिंडदान धर्मारण्य पहुंचने लगे व कर्मकांड पूरा होने लगा. हालांकि, अपेक्षा के अनुरूप भीड़ नहीं जुट पायी व मंदिर के पुजारियों का मानना है कि इस वर्ष तृतीया दो दिनों के होने के कारण पिंडदानी शुक्रवार को कम ही पहुंचे हैं. प्रशासन की ओर से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये थे. गाड़ियों की पार्किंग के लिए भी मुकम्मल व्यवस्था की गयी थी व जाम की स्थिति पैदा नहीं होने पाये, इसे लेकर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था. हालांकि, इस वर्ष मुहाने व निंरंजना नदी के मिलन स्थल पर स्थित सरस्वती में पिंडदानी नहीं पहुंच सके व शुक्रवार की दोपहर तक एक दर्जन के करीब ही पिंडदान पहुंच कर तर्पण किया. इस वर्ष पिंडवेदियों पर साफ-सफाई व अन्य व्यवस्था की पिंडदानियों ने सराहना की.
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