Gaya News : 100 करोड़ से अधिक के तिलकुट कारोबार की संभावना
Gaya News : गया का देश-दुनिया में तिलकुट उद्योग से भी पहचान है. यहां के वंशी साव व गोपी साव ने करीब डेढ़ सौ वर्ष पहले तिलकुट बनाने का काम शुरू किया था. अब यह कारोबार पूरे शहर में फैल गया है.
गया. गया का देश-दुनिया में तिलकुट उद्योग से भी पहचान है. यहां के वंशी साव व गोपी साव ने करीब डेढ़ सौ वर्ष पहले तिलकुट बनाने का काम शुरू किया था. अब यह कारोबार पूरे शहर में फैल गया है. वर्तमान में टिकारी रोड व रमना रोड इस कारोबार के मुख्य केंद्र हैं. इन क्षेत्रों सहित पूरे शहर में 300 से अधिक तिलकुट की छोटी-बड़ी दुकानें चल रही हैं, जहां मकर संक्रांति तक सौ करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होने की संभावना यहां के बड़े कारोबारी द्वारा व्यक्त की गयी है. तिलकुट की सोंधी महक आज पूरी दुनिया को रास आ रही है. मकर संक्रांति पर चूड़ा व गुड़ के साथ तिलकुट खाने के प्रचलन से इस कारोबार को पंख लग गया है.
अब ऑनलाइन ऑर्डर से भी मंगाया जा रहा तिलकुट
करीब पांच वर्ष पहले तक यह कारोबार केवल दुकानों तक ही सीमित था, पर देश दुनिया में मांग बढ़ने के कारण प्रमोद लडडू भंडार सहित कई कारोबारी अब इसकी ऑनलाइन बुकिंग भी कर रहे हैं. pramod.shop.com पर प्रतिदिन पूरे देश से 200 किलो से भी अधिक का लोग ऑनलाइन ऑर्डर कर रहे हैं. इस प्रतिष्ठान के एमडी प्रमोद कुमार भदानी ने बताया कि गुणवत्तापूर्ण व एयर टाइट पैकेजिंग के साथ ऑनलाइन डिलीवरी भेजी जाती है, जिसका अधिकतम लाइफ दो माह तक रहता है. गुणवत्ता को लेकर केवल खोवा का तिलकुट की ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था नहीं है. चीनी तिलकुट, गुड़ तिलकुट, खोवा तिलकुट सहित कई अन्य फ्लेवरों में तिलकुट तैयार किये जा रहे हैं. केवल प्रमोद लडडू भंडार द्वारा इस बार 26 अलग-अलग फ्लेवरों में तिलकुट बनाया जा रहा है.
इन फ्लेवरों में बन रहा तिलकुट
शहर में संचालित तिलकुट की दुकानों में चीनी खस्ता, चीनी रवई, चीनी शालीमार, चीनी तिलकुट, गुड खस्ता, गुड़ रवई, गुड़, शालीमार, गुड़ तिलकुट, पीनट चिक्की स्वीट्स, तिल बादाम लड्डू, तिल चिकी चिकी मिठाई, ड्राई फ्रूट तिलकुट, खोवा तिलकुट, केशर तिलकुट बनाया जा रहा है. कारोबारी की माने तो गुण व चीनी से बनी तिलकुट का कारोबार इस बार भी सबसे अधिक हो रहा है.
75 हजार किलो तिलकुट के कारोबार की संभावना
गया धाम तिलकुट संघ के अध्यक्ष लालजी प्रसाद ने कहा कि देश दुनिया में तिलकुट का प्रचलन काफी बढ़ जाने से मकर संक्रांति पर इसकी काफी खपत होती है. उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति तक इस वर्ष 75 हजार किलो से अधिक तिलकुट के कारोबार होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में मकर संक्रांति पर करीब 70 हजार किलो तिलकुट का कारोबार हुआ था. लोगों की बढ़ती मांग से इस बार करीब 75 हजार किलो तिलकुट के कारोबार होने की पूरी संभावना है.
चेन्नई में सुनवाई के बाद तिलकुट को मिल सकता है जीआई टैग
तिलकुट संघ के अध्यक्ष लालजी प्रसाद ने बताया कि राष्ट्रीय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान होने के बाद भी तिलकुट उद्योग को जीआइ टैग से वंचित रखा जा रहा है, जबकि चार वर्ष पूर्व ही जीआइ टैग से संबंधित शुल्क जमा किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि गया के तिलकुट, भोजपुर के खुरमा, सीतामढ़ी की बालूशाही, हाजीपुर के चिनिया केला, नालंदा की बावन बूटी व गया के पत्थरकट्टी पत्थर शिल्प को जीआइ टैग देने की मांग सरकारी स्तर पर मंजूर हो चुकी है. इन उत्पादों के लिए आवेदन करने में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने उत्पादक संघों की सहायता की थी. फरवरी 2024 में इन उत्पादों के लिए ऑनलाइन सुनवाई भी हुई थी. अब चेन्नई में ऑफलाइन सुनवाई होनी बाकी है. सुनवाई प्रक्रिया सफल होने पर इन उत्पादों को जीआइ जर्नल में प्रकाशित कर लोगों से आपत्ति ली जायेगी. अधिसूचना प्रकाशन पर किसी तरह की आपत्ति नहीं मिलने पर इन उत्पादों को जीआइ टैग मिल जायेगा.
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