पारंपरिक छठ गीतों से गुंजायमान रहे गया के घाट

सूर्योपासना व आस्था का महापर्व चार दिवसीय छठ पूजा के तीसरे दिन रविवार को पूरे दिन शहर छठ गीतों से गुंजायमान रहा. छठव्रती व श्रद्धालु अपने घरों से छठ घाटों के लिए निकले तो पूरे रास्ते कांच ही बांस के बहंगिया, मारबो रे सुगवा धनुष से.... सहित छठ पूजा से जुड़ी अन्य पारंपरिक गीतों को गाते हुए छठ घाटों तक पहुंच रहे थे.

By Prabhat Khabar News Desk | April 14, 2024 10:48 PM

गया. सूर्योपासना व आस्था का महापर्व चार दिवसीय छठ पूजा के तीसरे दिन रविवार को पूरे दिन शहर छठ गीतों से गुंजायमान रहा. छठव्रती व श्रद्धालु अपने घरों से छठ घाटों के लिए निकले तो पूरे रास्ते कांच ही बांस के बहंगिया, मारबो रे सुगवा धनुष से…. सहित छठ पूजा से जुड़ी अन्य पारंपरिक गीतों को गाते हुए छठ घाटों तक पहुंच रहे थे. वहीं जगह-जगह बजाये जा रहे छठ गीतों से पूरा शहर गुंजायमान हो रहा था. चार दिवसीय इस अनुष्ठान के तीसरे दिन डूबते भगवान सूर्य का पूजन व अर्घ दान के लिए अधिकतर छठव्रती व श्रद्धालु सूर्यकुंड पहुंचे. स्नान कर डूबते भगवान सूर्य की पूजा अर्चना किया. इसके बाद अर्घ दान कर तीसरे दिन का अनुष्ठान पूरा किया. वहीं फल्गु नदी के पिता महेश्वर घाट, सीढियां घाट, विंदेश्वरी घाट, केंदुई घाट सहित अन्य घाटों पर बने कुंड व अपने घरों के नजदीकी तालाबों में भी काफी छठव्रती व उनके परिजन छठ पूजा के तीसरे दिन का अनुष्ठान पूरा किया. तेज धूप में दोपहर बाद छठव्रती व श्रद्धालु सूर्यकुंड व अन्य छठ घाटों पर जाने के लिए घर से निकल कर लंबी दूरी तय कर घाटों तक पहुंचे. यहां पहुंच कर चार दिवसीय छठ पूजा के तीसरे दिन का अनुष्ठान पूरा किया. घाटों व तालाब में स्नान कर छठव्रती पूजन व प्रसाद सामग्री से सजे सूप को हाथों में लेकर डूबते भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना व अर्घ दान किया. इस मौके पर छठव्रतियों के साथ आये उनके परिजनों ने भी भगवान सूर्य को अर्घ दान व पूजन किया. इस चार दिवसीय अनुष्ठान के चौथे दिन यानी 15 अप्रैल को छठव्रती व श्रद्धालु उगते भगवान सूर्य का पूजन व अर्घ दान का अनुष्ठान पूरा कर जल व शरबत से अपना निर्जला उपवास तोड़ेंगे. छठ व्रत व उनके परिजनों की सुरक्षा के मद्दे नजर सूर्यकुंड सहित प्रशासनिक स्तर पर बनाये गये अधिकतर छठ घाटों पर एसडीआरएफ टीमों की तैनाती रही. साथ ही विधि-व्यवस्था को बनाये रखने के लिए काफी संख्या में इन घाटों पर पुलिस जवानों की भी प्रतिनियुक्ति थी. प्रशासनिक स्तर पर फल्गु नदी के पश्चिमी तट स्थित देवघाट, केंदुई, देवघाट, ब्राह्मणी घाट, पिता महेश्वर घाट व सीढिया घाट पर अस्थायी कुंड बनाया गया है. इसके अलावा सूर्यकुंड, रुक्मिणी, पिता महेश्वर सहित कई अन्य तालाबों को भी प्रशासनिक स्तर पर छठ घाट का रूप देकर सजाया गया है.

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