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आखिर कब तक लॉकडाउन की आर्थिक मार झेलते रहेंगे

लॉकडाउन के 50 दिन पूरे हो गये हैं. हर किसी में अकुलाहट होने लगी है. चाहे वह व्यवसायी हों या आम नागरिक. धीरे-धीरे सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स, ऑटोमोबाइल्स के शोरूम, पार्ट्स की दुकानें, सर्विसिंग सेंटर आदि को खोलने का आदेश दिया है, जो सराहनीय कदम है. हां, यह जरूर है कि इसे रोटेशन पर रखा गया है, लेकिन उनके बिजनेस तो चालू हो गये हैं. अब परेशानी में कपड़ा व्यवसायी, स्वर्ण आभूषण के विक्रेता, फर्नीचर के विक्रेता के साथ-साथ मिठाई दुकानदार आदि हैं.

गया : लॉकडाउन के 50 दिन पूरे हो गये हैं. हर किसी में अकुलाहट होने लगी है. चाहे वह व्यवसायी हों या आम नागरिक. धीरे-धीरे सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स, ऑटोमोबाइल्स के शोरूम, पार्ट्स की दुकानें, सर्विसिंग सेंटर आदि को खोलने का आदेश दिया है, जो सराहनीय कदम है. हां, यह जरूर है कि इसे रोटेशन पर रखा गया है, लेकिन उनके बिजनेस तो चालू हो गये हैं. अब परेशानी में कपड़ा व्यवसायी, स्वर्ण आभूषण के विक्रेता, फर्नीचर के विक्रेता के साथ-साथ मिठाई दुकानदार आदि हैं.

उन्हें अपने कर्मचारियों के वेतन से लेकर दुकान का किराया, अन्य टैक्स, बिजली के बिल आदि भरने पड़ रहे हैं, जहां से उन्होंने अपना माल मंगवाया था, उन्हें भी भुगतान करना है. इधर आय के स्रोत पूरी तरह बंद पड़े हैं. ऐसे में उनका मानना है कि अगर रोटेशन पर ही दिन में सुबह सात बजे से दो बजे तक भी सशर्त दुकानें खोलने की इजाजत मिल जाती, तो आर्थिक बोझ कुछ हल्का होता और धंधा व्यवसाय भी चलता रहता. कपड़ा व्यवसायी महेंद्र मोर, मिष्ठान भंडार दुकानदार विजय कुमार गुप्ता, फर्नीचर दुकानदार हरिद्वार गुप्ता, सोने चांदी के विक्रेता अरुण जैन आदि ने ‘प्रभात खबर’ से बातचीत के दौरान बताया कि लॉकडाउन समय की मांग है और यह सराहनीय कदम है.

जिस तरह से कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है, ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग को बनाये रखना हम सबकी जिम्मेदारी है, लेकिन व्यवसाय, धंधा भी चले, जिससे कि उनका आर्थिक बोझ हल्का हो. सरकार नियम, कायदे-कानून के साथ सुबह सात बजे से दो बजे तक भी रोटेशन पर कपड़ा, सोना-चांदी, फर्नीचर व मिठाई दुकानों को खोलने की अनुमति दे, तो आर्थिक बोझ से हमें कुछ राहत मिलेगी और लोगों को भी सामान खरीदने में सहूलियत होती. हालांकि, इनमें कई दुकानदारों ने यह भी बताया कि सेंट्रल बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के माध्यम से सरकार तक उनकी बातें पहुंचाने की कोशिश की गयी है, ताकि सरकार इस पर भी विचार करे.

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