स्कूल की बाउंड्री बनाने में भारी भ्रष्टाचार, रिपोर्ट में खुलासा

कुछ लोग बच्चों जीवन के साथ खिलवाड़ कर उनकी जान जोखिम में डालने से भी नहीं कतराते. ऐसा ही एक मामला अतरी प्रखंड क्षेत्र में प्लस टू पुनीत उच्च विद्यालय भैया बिगहा उप्थु का सामने आया है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 5, 2024 7:51 PM

अतरी/गया. कुछ लोग बच्चों जीवन के साथ खिलवाड़ कर उनकी जान जोखिम में डालने से भी नहीं कतराते. ऐसा ही एक मामला अतरी प्रखंड क्षेत्र में प्लस टू पुनीत उच्च विद्यालय भैया बिगहा उप्थु का सामने आया है. यहां पांच लाख की लागत से स्कूल के चारों ओर 254 फीट बाउंड्री का निर्माण कराया जा रहा था. ग्रामीणों ने इसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़ा किया व इसकी शिकायत डीएम से की. किसी तरह 125 फीट बाउंड्री निर्माण के बाद कार्य को रूकवाने में ग्रामीण सफल रहे. इसके बाद डीएम ने ग्रामीणों की शिकायत पर शिक्षा विभाग को जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. डीएम के निर्दैश के बाद डीइओ ने चार सदस्यीय जांच टीम का गठन किया. टीम ने जांच रिपोर्ट डीइओ को सौंपी. जिसे जिला शिक्षा पदाधिकारी ने डीएम को भेजा है. जांच रिपोर्ट में बाउंड्री निर्माण में भारी गड़बड़ी की बात सामने आयी है. जांच टीम में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी दुर्गा यादव, कार्यपालक अभियंता सतीश प्रसाद, एएमटी सुरेंद्र कुमार, कनीय अभियंता अरिओम संपत शामिल थे. कनीय अभियंता श्री संपत ने बताया कि चाहरदीवारी निर्माण का कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं होने के कारण अभी तक वेंडर को कोई भुगतान नहीं किया गया है. डीइओ डॉ ओम प्रकाश ने बताया कि डीएम को जांच रिपोर्ट भेजी गयी है. जांच कार्य व भुगतान पर रोक लगायी गयी है. देखना है कि जांच रिपोर्ट पर डीएम अब क्या एक्शन लेते हैं. स्कूल की बाउंड्री निर्माण के लिए प्राक्कलन में टाइ बीम 10 इंच की मोटाई का प्रावधान था, लेकिन जांच के दौरान सात, आठ व नौ इंच ही पाया गया. देखने में ही ईंट मानक के अनुरूप नहीं था. नमूने के तौर पर ईंट को जांच टीम अपने साथ लायी है, ताकि किसी एजेंसी से जांच करवायी जाये. वहीं जांच टीम द्वारा बाउंड्री में छड़ मानक के अनुरूप नहीं पाया गया. नींव की जांच नहीं हो पायी था. ग्रामीण उसमें भी लोच बता रहे हैं. स्कूल में बाउंड्री निर्माण एजेंसी के द्वारा कराया जा रहा था, लेकिन 125 फीट दीवार बन जाती है और मॉनीटरिंग के जिम्मेदार कहां थे, यह बड़ा सवाल है. ग्रामीणों के विरोध के बाद भी एक्शन नहीं लिया गया. मामला डीएम के पास पहुंचने पर जांच रिपोर्ट मांगनी पड़ी. बताया जाता है कि मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के इंजीनियर को थी.

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