मगध मेडिकल में आयुष्मान भारत के लाभुक को देना पड़ रहा डायलिसिस का चार्ज
मगध मेडिकल को कोविड हॉस्पिटल घोषित किये जाने के बाद यहां आयुष्मान भारत योजना के लाभुक को काफी परेशानी हाे रही है. इस योजना के लाभुक को जरूरी तय सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. योजना के तहत चिह्नित मरीजों को डायलिसिस के लिए कर्ज लेकर पैसा चुकाना पड़ रहा है. अस्पताल प्रशासन मरीज व उनके परिजन को जल्द समाधान निकल जाने का आश्वासन दे रहा है.
गया : मगध मेडिकल को कोविड हॉस्पिटल घोषित किये जाने के बाद यहां आयुष्मान भारत योजना के लाभुक को काफी परेशानी हाे रही है. इस योजना के लाभुक को जरूरी तय सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. योजना के तहत चिह्नित मरीजों को डायलिसिस के लिए कर्ज लेकर पैसा चुकाना पड़ रहा है. अस्पताल प्रशासन मरीज व उनके परिजन को जल्द समाधान निकल जाने का आश्वासन दे रहा है. बुधवार को यहां डायलिसिस के लिए पहुंचे योजना उचिरमा के गणेश रजक, मानपुर बाजार के उदय कुमार, डुमरा के ममता देवी, दिग्घी तालाब की रोशन आरा, चेरकी के हमजा, रफीगंज की शांति देवी, बोधगया के शुभम कुमार, गोल बगीचा के सूरज कुमार, सोहयपुर के सुधीर कुमार, इमामगंज के नरेश सिंह व राजेंद्र आश्रम की रीना देवी ने कहा कि कोविड महामारी का दौर शुरू होते ही डायलिसिस कराने में बहुत परेशानी हो रही है.
मगध मेडिकल स्थित डायलिसिस सेंटर के कर्मचारी कहते हैं कि यहां पहले से लाखों रुपये अस्पताल पर बकाया है. उसके पेमेंट के दौड़ाया जा रहा है. किसी भी योजना के लाभुक रहें पैसा देने के बाद ही डायलिसिस किया जायेगा. लाभुकों ने बताया कि पहले अस्पताल अधीक्षक किसी तरह डायलिसिस करवाये. लेकिन, 22 मई को मरीजों को यहां पैसा देना पड़ा. इस बार फिर कर्ज लेकर डायलिसिस कराने पहुंचे हैं. अस्पताल अधीक्षक सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं. समाधान कुछ नहीं निकल रहा है. आगे इस तरह की स्थिति रही, तो पैसा के अभाव में डायलिसिस कराना मुश्किल हो जायेगा.
योजना के लाभुक को पांच लाख तक इलाज करना है मुफ्तआयुष्मान भारत योजना के लाभुक को अस्पताल में भर्ती होने के दौरान अधिकतम पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा मुफ्त देनी है. सभी तरह के बीमारियों के लिए इसमें खर्च का पैकेज तैयार किया गया है. सरकारी अस्पतालों में इस योजना के लाभुक का इलाज होता है, तो सरकार उसकी दवा व अन्य समान के लिए पैसा साथ पैकेज में डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों को भी इसमें प्रोत्साहन राशि दी जाती है. पहले भी इस तरह का मामला सामने आया है कि अस्पताल में तैनात इस योजना के लाभुक के पहचान के लिए कर्मचारी भी अपना काम ढंग से नहीं करते हैं.
यह कहना है नोडल अधिकारी कामगध मेडिकल अस्पताल को कोविड हॉस्पिटल घोषित किये जाने के बाद यहां के उपाधीक्षक सह आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी डॉ पीके अग्रवाल को प्रभावती अस्पताल में प्रतिनियुक्त कर दिया गया. इसके बाद इस पद की जिम्मेदारी डॉ प्रह्लाद कुमार को दी गयी. लेकिन, वे भी इस काम को करने से इनकार कर दिया. बुधवार को उन्हें इसकी जिम्मेदारी दी गयी है. आयुष्मान भारत योजना के कई लाभुकों ने डायलिसिस कराने के बाद रसीद लेकर उनके पास पहुंचे थे. अधीक्षक व अन्य से बातचीत कर समाधान निकाला जायेगा. आगे से कोशिश रहेगी कि इस योजना के मरीज को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो.
डॉ नसीम अहमद, नोडल अधिकारी, आयुष्मान भारत योजना (मगध मेडिकल अस्पताल)