International Yoga Day: योग पर क्यों निहाल हैं बोधगया के बौद्ध धर्मगुरु

International Yoga Day: तिब्बती बौद्ध मॉनेस्ट्री के प्रभारी लामा ने कहा कि योग भारत का ही देन है और भारत से ही तिब्बत व अन्य देशों में फैला है. उन्होंने कहा कि मूल में सभी की पद्धति एक ही है लेकिन बाद में अलग-अलग गुरुओं द्वारा अलग-अलग पद्धति का प्रचार प्रसार किया गया.

By Ashish Jha | June 21, 2024 11:30 AM
International Yoga Day: योग बिना बौद्ध गुरुओं की भी साधना नहीं

International Yoga Day: कलेंद्र प्रताप, बोधगया. 21 जून को मनाया जाने वाला इंटरनेशनल योग दिवस के संबंध में बोधगया स्थित तिब्बती बौद्ध मॉनेस्ट्री के प्रभारी लामा ने कहा कि योग भारत का ही देन है और भारत से ही तिब्बत व अन्य देशों में फैला है. उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं द्वारा साधना व योग करने के संदर्भ में कहा कि मूल में सभी की पद्धति एक ही है लेकिन बाद में अलग-अलग गुरुओं द्वारा अलग-अलग पद्धति का प्रचार प्रसार किया गया.

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग जरूरी

उन्होंने कहा कि बौद्ध भिक्षुओं द्वारा मानसिक शांति के लिए विपश्यना किया जाता है , जबकि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग भी जरूरी है. महायान पंथ में योग के साथ-साथ विपश्यना भी किया जाता है और इससे शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से व्यक्ति स्वस्थ होता है. इसी तरह ऑल इंडिया भिक्खु संघ के महामंत्री भिक्खु प्रज्ञादीप ने कहा कि साधना मानसिक शांति के उद्देश्य की जाती है, जबकि योग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए किया जाता है. इसमें दोनों एक दूसरे का पूरक है. शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक रूप से स्वस्थ होना भी जरूरी है . उन्होंने साधना के अलग-अलग रूपों के बारे में जानकारी दी.

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योग और साधना दोनों जरूरी

85 वर्षीय भिक्खु अनिरुद्ध ने कहा कि विपश्यना मन मस्तिष्क को शांति देने व स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है, जबकि योग शारीरिक क्रियो को क्रियाशील बनाने के लिए और स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है . उन्होंने कहा कि हर मानव को योग व साधना दोनों अनिवार्य रूप से करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अलग-अलग देश में साधना को अलग-अलग रूपों से संपादित किया जाता है लेकिन मूल रूप से साधना का एक ही स्वरूप है जो मानसिक शांति के लिए किया जाता है.

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