तीसरे प्रयास में जीतन राम मांझी ने गया सीट पर मारी बाजी
गया संसदीय सीट से एनडीए समर्थित हम (से) के उम्मीदवार पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने जीत दर्ज की है. उन्होंने एक लाख एक हजार आठ सौ 12 मतों के अंतर से प्रतिद्वंद्वी इंडिया समर्थित राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत को हराया है.
कंचन, गया. गया संसदीय सीट से एनडीए समर्थित हम (से) के उम्मीदवार पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने जीत दर्ज की है. उन्होंने एक लाख एक हजार आठ सौ 12 मतों के अंतर से प्रतिद्वंद्वी इंडिया समर्थित राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत को हराया है. जीतन राम मांझी को कुल चार लाख 94 हजार 960 मत मिले हैं, जबकि प्रतिद्वंद्वी कुमार सर्वजीत को तीन लाख 93 हजार 148 मत मिले हैं. 2014 में गया संसदीय सीट से जदयू के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे जीतन राम मांझी एक लाख 31 हजार आठ सौ 28 मत लाकर तीसरे नंबर पर रहे थे. तब भाजपा से हरि मांझी तीन लाख 26 हजार दो सौ 30 मत हासिल कर जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर राजद प्रत्याशी रामजी मांझी को दो लाख 10 हजार सात सौ 26 मत मिले थे. वर्ष 2019 के चुनाव में जीतन राम मांझी हम(से) से चुनाव मैदान में उतरे थे. उस समय भी एनडीए समर्थित तब जदयू-भाजपा साथ थे, जिसमें जदयू के प्रत्याशी विजय मांझी विजयी रहे थे, उन्हें चार लाख 67 हजार सात मत हासिल हुए थे. दूसरे नंबर पर अपने दम-खम पर चुनाव लड़ रहे हम(से) से जीतन राम मांझी निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे थे, जिन्हें तीन लाख 14 हजार पांच सौ 81 मत मिले थे. तीसरे नंबर पर नोटा था जिसमें 30 हजार 30 मत पड़े थे. पहले चुनाव में तीसरे, दूसरी बार दूसरे नंबर पर और तीसरे प्रयास में पहले नंबर पर यानी विजय अपने नाम की है. खिजरसराय प्रखंड अंतर्गत महकार गांव के रहनेवाले स्व रमजीत राम मांझी के पुत्र जीतन राम मांझी का जन्म 06 अक्तूबर 1944 को हुआ था. उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से इतिहास प्रतिष्ठा विषय में स्नातक किया है. उनकी शादी शांति देवी से हुई है, जिनकी पांच पुत्रियां व दो पुत्र हैं. उनकी रुचि कृषि कार्य के अलावा पर्यावरण की सुरक्षा (वन रोपण) कर प्रदूषण मुक्त समाज की स्थापना करने में रही है. फिलहाल उनका गया शहर के गोदावरी मुहल्ले में व बोधगया में भी आवास है. बकौल जीतन राम मांझी पैसे के अभाव के कारण आठ वर्ष की आयु में मजदूरी भी की. सामाजिक तौर पर अस्पृश्यता का दंश झेलना पड़ा है. मांझी ने 1980 से राजनीतिक कैरियर शुरू किया. पहली बार गया जिले के फतेहपुर विधानसभा सीट से 1980 में चुनाव जीत कर 1985 तक विधायक रहे. फिर दूसरी बार फतेहपुर से ही 1985-1990 तक विधायक रहे. वर्ष 1996-2000 तक बाराचट्टी विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे. वर्ष 2000 में बोधगया विधानसभा से चुनाव जीते और 2005 तक विधायक रहे. 2005 से 2010 तक फिर बाराचट्टी विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 2010 से 2015 तक जहानाबाद के मखदुमपुर सीट से विधायक रहे. इस दौरान कुछ महीने के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी भी संभाली थी. 2015 से 2020 व दूसरी बार 2020 से अब तक वह इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे. फिलहाल वह इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. जीतन राम मांझी बिहार सरकार के कई बार अलग-अलग विभाग के मंत्री भी रहे हैं. 1984 से 1985 तक उप मंत्री, 1985 से 1988 तक राज्यमंत्री, 1997 से 1998 तक राज्यमंत्री, 13 अप्रैल 2008 से 2010 तक मंत्री, पुन: 2010 से मई 2014 तक मंत्री रहे. 20 मई 2014 से 19 फरवरी 2015 तक मुख्यमंत्री व 23 नवंबर से 25 नवंबर 2020 तक बिहार विधान सभा के प्रोटेम स्पीकर भी रहे हैं. वर्ष 2014 में उन्होंने थाइलैंड व बैंकाक की विदेश यात्रा भी की है. ब्रिटेन (लंदन) के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में व्याख्यान दिया था. जीतन राम मांझी वर्ष 1990 से 1995 तक गया जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष, वर्ष 1996 से 1997 तक गया जिला जनता दल के जिलाध्यक्ष, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के सिंडिकेट के सदस्य, बिहार मुसहर सेवा संघ के प्रांतीय अध्यक्ष, जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य व राष्ट्रीय महासचिव भी रहे. जून 2015 से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा( सेक्यूलर) का गठन किया व 25 अगस्त 2015 को राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए. फिलहाल हम(से) के संरक्षक हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके पुत्र संतोष कुमार सुमन हैं.
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