Success Story: बाल्टी के सहारे हर महीने हजारों कमा रही गया की कंचन, दूसरी महिलाओं की भी कर रही मदद
Success Story: बिहार का गया जिला मशरूम उत्पादन का हब बनता जा रहा हैं. यहां के लोग विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल कर मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. इसी में एक नाम है कंचन का जो कि बाल्टी में मशरूम का उत्पादन कर हर महीने हजारों की आमदनी कर रही हैं.
Success Story: गया के बांके बाजार प्रखंड के दीघासिन गांव की रहने वाली कंचन कुमारी नई तकनीक से मशरूम उत्पादन कर मशहूर हो गई हैं. वह कचरे के डिब्बे और बाल्टियों में मशरूम का उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. इसके साथ ही वह महिला उद्यमियों को एफपीओ का सदस्य भी बना रही हैं. कंचन एफपीओ की महिलाओं को मशरूम उत्पादन के लिए बीज और सामग्री उपलब्ध कराने के साथ ही उत्पादित मशरूम को बाजार में बेचने में मदद भी कर रही हैं.
महिला उद्यमी को दिया जाता है प्रशिक्षण
बांके बाजार महिला विकास फार्मा प्रोड्यूसर कंपनी की अध्यक्ष द्रौपदी देवी ने बताया कि महिलाओं का चयन कर सर्व सेवा समिति संस्था और बुद्ध मशरूम के राजेश सिंह उद्यमी महिलाओं को प्रशिक्षण और विभिन्न नई तकनीक की जानकारी देते हैं.
बटन मशरूम से की थी शुरुआत
कंचन कुमारी ने बताया कि उन्होंने एफपीओ के माध्यम से जुड़कर बटन मशरूम से शुरुआत की थी. उन्होंने मशरूम को रोजगार के रूप में देखा. इसके बाद उन्होंने फॉयल (प्लास्टिक बैग) के माध्यम से ऑयस्टर मशरूम की शुरुआत की. फिर उन्होंने बकेट मॉडल पर प्रशिक्षण लिया. इसके बाद वे बॉक्स और बकेट में मशरूम की शुरुआत कर विभिन्न महिलाओं को रोजगार देने का काम कर रही हैं.
हर महीने हो रही हजारों की कमाई
कंचन कुमारी ने बताया कि बॉक्स या बाल्टी में मशरूम का उत्पादन अधिक होता है. किसानों को बैग देना भी काफी सुविधाजनक है. इसमें जगह कम लगती है. रस्सी, पन्नी जैसे बहुत सारे खर्च कम हो जाते हैं. घर पर रहकर ही मशरूम उत्पादन से 15 से 20 हजार रुपए कमा रही हूं.
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कम भूमि व पूंजी की जरूरत : रजनी भूषण
सर्व सेवा समिति संस्था के जिला प्रबंधक रजनी भूषण ने बताया कि मशरूम की खेती एक बहुत ही आकर्षक कृषि व्यवसाय बनने की क्षमता रखती है. चूंकि देश में अधिकांश किसान छोटे और सीमांत भूमि के मालिक हैं और उनके पास सीमित पूंजी है, इसलिए मशरूम उत्पादन एक वरदान है. क्योंकि, यह कृषि अपशिष्ट के उपयोग को बढ़ाने का एक माध्यम है. इसके लिए कम भूमि, पानी और पूंजी की आवश्यकता होती है. मशरूम उत्पादन से पोषण संबंधी असुरक्षा को कम करने और छोटे और सीमांत उत्पादकों की आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.