बिहार को समझ कर्नाटक के युवाओं ने लिया विदा

गया न्यूज : युवा संगम फेज 5.0 : सीयूएसबी में साझा मंच पर भव्य रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति के बाद कर्नाटक की टीम को दी विदाई

By Prabhat Khabar News Desk | December 23, 2024 6:22 PM

गया न्यूज : युवा संगम फेज 5.0 : सीयूएसबी में साझा मंच पर भव्य रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति के बाद कर्नाटक की टीम को दी विदाई

गया.

भारत विविधता में एकता वाला देश है. इस पुण्य भूमि ने हजारों वर्षों से विभिन्न संस्कृतियों को फलने-फूलने का अवसर दिया है और उनकी भावनाओं को आत्मसात किया है. उक्त वक्तव्य सीयूएसबी के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने युवा संगम फेज 5.0 के तहत कर्नाटक से बिहार आये युवा दूतों के विदा होने से पूर्व आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहीं. कुलपति ने 50 सदस्यों वाली कर्नाटक की टीम के एक सप्ताह के प्रवास को सुखद अनुभव प्रदान करने पर सीयूएसबी के युवा संगम के नोडल अफसर प्रो पवन कुमार मिश्रा व समस्त टीम की सराहना की. उन्होंने भारत सरकार की ओर से कार्यक्रम का नेतृत्व विश्वविद्यालय को दिये जाने पर आभार एवं सफलतापूर्वक समापन होने पर संतोष व्यक्त किया. अंतिम दिन सीयूएसबी की ओर से एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में ब्रिगेडियर रामनरेश आमंत्रित थे. इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने राजस्थानी नृत्य प्रस्तुत किया. वहीं, होली गायन और सोहर गान से पूरी सभा झूम उठी. कर्नाटक टीम ने कर्नाटक गौरवगान और विभिन्न प्रकार की अद्भुत प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया है. मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर राम नरेश ने इस अवसर पर कहा कि युवा शक्ति हमारी सबसे बड़ी ताकत है. हमारा देश युवा देश है और युवा देश को सशक्त व समृद्ध बनाने के लिए इस प्रचंड युवा शक्ति में जागृति की आवश्यकता है. ब्रिगेडियर रामनरेश ने दिनकर रचित एक पंक्ति ””क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो”” को पढ़ते हुए कहा कि संसार भी उसके समक्ष की झुकता है, जिसके पास शक्ति होती है. इस प्रकार मधुर स्मृतियों को संजोये टीम कर्नाटक आदर पूर्वक विदा हुई. कार्यक्रम को सफल बनाने में सीयूएसबी के युवा संगम विशेष समिति के सदस्य डॉ मंगलेश कुमार मंगलम, डॉ सुजीत कुमार, डॉ प्रिय रंजन, डॉ रचना विश्वकर्मा, डॉ प्रज्ञा गुप्ता, डॉ मितांजलि साहू, डॉ आदित्य मोहंती, डॉ विकल कुमार सिंह, डॉ चंदना सुबा, डॉ पावस कुमार, अनुराग मिश्रा आदि का अहम योगदान रहा है.

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