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Pitru Paksha: गया में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, पितृ और प्रेत दोष से मुक्ति के लिए लाखों लोगों ने किया पिंडदान

Pitru Paksha 2024: 17 दिवसीय त्रिपाक्षिक श्राद्ध के 11वें दिन करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति की कामना के साथ गया सिर और गया कूप वेदियों पर तर्पण किया.

Pitru Paksha 2024: पितरों की मुक्ति स्थली गयाजी धाम में 17 सितंबर से शुरू 17 दिवसीय त्रिपाक्षिक श्राद्ध यानी राजकीय पितृपक्ष मेला महासंगम 2024 के 11 वें दिन शुक्रवार को देश के विभिन्न राज्यों से आये करीब एक लाख तीर्थयात्रियों ने पिंडदान व श्राद्धकर्म कर अपने पितरों के मोक्ष व उनके जन्म मरण से मुक्ति की कामना की. श्राद्ध विधान के तहत गया सिर व गया कूप वेदी स्थलों पर पिंडदान किया. इस वेदी पर श्राद्ध करने से राजा विशाल को संतान सुख की प्राप्ति हुई थी.

विष्णुपद मंदिर के पास स्थित हैं ये वेदियां

मान्यता है कि इन वेदी स्थलों पर पिंडदान करने वाले श्रद्धालुओं के साथ उनके पितरों को भी पितृ व प्रेत दोष से मुक्ति मिल जाती है. ये वेदियां विष्णुपद मंदिर के पास स्थित हैं. मान्यता के अनुसार पहले गया सिर व इसके बाद गया कूप वेदी पर पिंडदान व श्राद्धकर्म तीर्थयात्रियों द्वारा किया गया.

पितरों के साथ-साथ स्वयं की मुक्ति के लिए किया पिंडदान

विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य मणिलाल बारिक ने बताया कि आश्विन शुक्ल पक्ष दशम तिथि को गया सिर व गया कूप वेदी पर श्राद्ध का विधान है. इस पौराणिक मान्यताओं के अनुसार काफी श्रद्धालुओं ने पितरों के साथ-साथ स्वयं की भी मुक्ति के लिए पहले गया सिर वेदी में दंड स्पर्श कराकर पिंडदान का कर्मकांड पूरा किया. इसके बाद गया कूप वेदी पर पिंडदान व श्राद्धकर्म किया.

राजा विशाल को यहां श्राद्ध करने प्राप्त हुआ था संतान सुख

मणिलाल बारिक ने हिंदू धर्म ग्रंथ पुराणों का हवाला देते हुए बताया कि राजा विशाल को इस वेदी पर श्राद्ध करने से संतान सुख की प्राप्ति हुई थी. गया सिर वेदी स्थल के पास स्थित गया कूप वेदी पर भी काफी पिंडदानियों ने अपने पितरों की मुक्ति व मोक्ष प्राप्ति के निमित्त पिंडदान का कर्मकांड किया. ये दोनों वेदी स्थल गय असुर के सिर भाग पर अवस्थित है. ब्रह्मा जी द्वारा इस स्थल पर यज्ञ किये जाने से इसे काफी पवित्र माना गया है.

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सात गोत्रों का उद्धार होता है

कूर्म पुराण में बताया गया है कि इन वेदी स्थलों पर पिंडदान करने वाले श्रद्धालुओं के मातृ व पितृ कुल के सात गोत्रों का उद्धार होता है. इन वेदी स्थलों के अलावा एक दिन के लिए पितृपक्ष मेले में पिंडदान के निमित्त 70 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने पितरों के आत्मा की शांति व उनके मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर देवघाट, फल्गु नदी, विष्णुपद, सीता कुंड, अक्षयवट प्रेतशिला व अन्य वेदी स्थलों पर पिंडदान व श्राद्धकर्म व तर्पण किया.

आज मुंड पृष्ठा, आदि गदाधर व धौत पद पर पिंडदान का है विधान

मणिलाल बारिक ने बताया कि 17 दिवसीय त्रिपाक्षिक श्राद्ध के 12 वें दिन 28 सितंबर को विष्णुपद मंदिर के पश्चिमी भाग के करसिल्ली पहाड़ स्थित मुंड पृष्ठा श्राद्ध आदि गदाधर (आदि गया) व धौत पद श्राद्ध व चांदी दान का विधान है.

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