Loksabha Election: गया जिला के शेरघाटी प्रखंड की चांपी पंचायत में सगहा पहाड़ की तलहटी में बसे व झारखंड से सटे रानी चक, झौर, समदा, सगमटांड, जमीरगंज व सलैया आदि गांव लोकसभा चुनाव के शोरगुल से अछूते हैं. हालांकि ग्रामीणों को इस बात की जानकारी है कि 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है, फिर भी अब तक कोई भी नेता वोट मांगने यहां नहीं आया है.
वोट मांगने के लिए नहीं पहुंचते नेता
यहीं के महुआडीह गांव के 85 वर्षीय रामसहाय यादव बताते हैं कि इधर किसी गांव में नेता वोट मांगने नहीं आते हैं. कुछ समर्थक कभी-कभार गांव में पहुंच जाते हैं. ईश्वर चौधरी जब सांसद बने थे तो हम सभी लोग उनको जानते और पहचानते थे. लेकिन उनके चले जाने के बाद आज तक इस क्षेत्र में कोई नहीं आया. ईश्वर चौधरी ने जीत हासिल की थी, तो गांव में घर-घर घूम कर लोगों से बातचीत की थी.
रामसहाय बताते हैं कि पहले वोट कैसे होता है, यह भी हम लोग नहीं जानते थे. वोट देने अगर हम लोग बूथ पर जाते थे, तो हमारा वोट पहले से ही दिया जा चुका होता था. हालांकि वह दौर तो बदल गया, लेकिन नेताओं की सोच में कोई बदलाव नहीं हुआ. गांव के लोग चौराहे तथा सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली चर्चा के आधार पर वोट करते है.
पुल नहीं रहने से हो रही परेशानी
मनीष कुमार, सत्येंद्र कुमार, प्रवीण कुमार, दिनेश कुमार, सोनू कुमार, राजू चौधरी व सुषमा देवी आदि बताते हैं कि बूढ़ी नदी पर गांव के सामने पुल नहीं रहने के कारण काफी परेशानियों का सामना बरसात के दिनों में और रात्रि के वक्त करना पड़ता है. इसी प्रकार गांव को गांव से जोड़ने वाली सड़क की हालत काफी दयनीय है, जिस पर पैदल चलना भी मुश्किल है. इस पर ना तो कोई नेता और न किसी अधिकारियों का ध्यान है.
अंतिम पायदान तक विकास की रोशनी पहुंचाने के हर राजनीतिक दल के चुनावी वादे यहां कहीं फिट नहीं बैठते. प्रभात खबर जब यहां पहुंचा तो गांव में चुनाव का कोई रंग नहीं दिख रहा था. लोग चुनाव को लेकर उदासीन दिख रहे थे. ग्रामीणों को केवल यह पता है कि 19 अप्रैल को मतदान है और हमको वोट करना है. गांव के लोग जिस ओर मतदान करेंगे लोग उधर ही अपना मतदान करेंगे.