आमस जैसे-जैसे 14 अप्रैल समीप आ रहा है, वैसे-वैसे विभिन्न प्रदेशों में फंसे बिहारियों की धड़कनें तेज होती जा रही हैं कि पता नहीं, लॉकडाउन हटेगा या बढ़ेगा. लगभग सभी लोग अपने घर लौटना चाह रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र की कलवन पंचायत अंतर्गत बाजितपुर गांव के करीब एक दर्जन लोग देश के विभिन्न शहरों में लॉकडाउन के कारण अपने-अपने कमरों में कैद हैं. सभी 14 अप्रैल का इंतजार कर रहे हैं कि सरकार क्या निर्णय लेती है. गुजरात के दमन दीव में रह रहे महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि गांव के दीपक कुमार सिंह और अरविंद कुमार साव के साथ वह प्लंबरिंग ऑपरेटर का कार्य करते हैं.
कोरोना वायरस को लेकर अचानक लॉकडाउन होने से एक कमरे में ही कैद हैं. मुहल्ले में लाइन लगा कर खाना वितरण होता है. लेकिन, हमलोग रूम पर ही फिलहाल अपना खाना बना कर खा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमलोगों को बस यही लग रहा है कि जितना जल्द संभव हो घर पहुंच कर परिवार से मिल लेते, क्योंकि घर परिवार के लोगों का लगातार फोन आ रहा है.
महेंद्र ने बताया कि सरकार और प्रशासन जो निर्देश देगा, हमलोग उसका पूरा पालन करेंगे, क्योंकि हमलोग ये नहीं चाहते कि मेरी वजह से किसी को नुकसान हो. घर पहुंचने के बाद भी प्रशासन का जो आदेश होगा उसे स्वीकार करूंगा. इसी गांव के हरियाणा गुड़गांव में फील्ड वर्क का काम करने वाले नीरज कुमार ने बताया कि घर जाने को दिल चाह रहा है. लेकिन, लॉकडाउन के कारण मजबूर हैं.
लेकिन, 14 अप्रैल के बाद मौका मिलते ही घर जाने का इरादा है. इनके साथ गांव के ही मनोरंजन सिंह भी हैं, जो किसी कंपनी में काम करते है. ग्रामीणों ने बताया कि सनी सिंह, नागेंद्र सिंह, अक्षय सिंह मुंबई में हैं. सर्वेश सिंह और नागेंद्र सिंह दिल्ली में हैं, जबकि अमित सिंह और सतेंद्र यादव हैदराबाद में हैं. बताया जाता है कि सभी के परिवार के लोग कोरोना वायरस के खतरे के कारण ये चाहते हैं कि उनके परिवार का बेटा-पोता घर पर नजर के सामने ही सुरक्षित रहे.