Pitru Paksha: पितरों की मोक्ष स्थली गया जी में 15 दिसंबर से मिनी पितृ पक्ष मेला शुरू होने जा रहा है. इस बार इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों से पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. एक महीने तक चलने वाला यह मेला 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन गंगा दशहरा के साथ संपन्न होगा. यहां प्राचीन काल से ही हर साल पौष माह में मिनी पितृ पक्ष मेले का आयोजन होता आ रहा है. इस साल भी इस मेले का आयोजन होना है.
इस मेले से जिले की अर्थव्यवस्था होती है बेहतर
पंडा समाज से जुड़े लोगों ने बताया कि इस मेले में आने वाले अधिकांश पिंडदानी एक दिवसीय या तीन दिवसीय पिंडदान कर्मकांड करते हैं. पिंडदान से संबंधित सभी सामान पिंडदानियों द्वारा स्थानीय स्तर पर खरीदे जाने के कारण शहर और जिले की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत होती है. इस मेले को लेकर शहर और जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से छोटे-मोटे व्यवसायी भी मेला क्षेत्र में अपनी दुकानें लगाते हैं. इससे दुकानदारों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है.
जिला प्रशासन और निगम करता है तैयारी
इस मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाएं संवाद सदन समिति द्वारा मुहैया कराई जाती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस व्यवस्था की कमान जिला प्रशासन द्वारा नगर निगम को सौंप दी गई है. अब पिंडदानियों को पानी, सफाई, रोशनी व अन्य सुविधाएं नगर निगम द्वारा मुहैया कराई जा रही है.
गंगा स्नान के साथ मेले का होगा समापन
15 दिसंबर से एक माह तक खरमास रहता है. 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर गंगा स्नान की मान्यता रही है. देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए अपने घरों से निकलते हैं. गंगा स्नान से पहले गयाजी आकर पितरों के आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान का कर्मकांड संपन्न करते हैं. मान्यता है कि इस अवधि में पिंडदान करने से पितरों को न केवल जन्म मरण से मुक्ति मिल जाती है. बल्कि कर्मकांड करने वाले पिंडदानियों को पितरों से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. गंगा स्नान के साथ ही 15 जनवरी को इस मेले का समापन हो जाता है.
इन राज्यों से पहुंचते हैं सबसे अधिक श्रद्धालु
श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के वरिष्ठ सदस्य मणिलाल बारिक ने बताया कि मिनी पितृपक्ष मेले में महाराष्ट्र, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और देश के कई अन्य राज्यों से सबसे अधिक तीर्थयात्री यहां आकर अपने पितरों के आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर पिंडदान का कर्मकांड करते हैं.
प्रशासनिक स्तर पर मेले में श्रद्धालुओं के लिए नहीं कराई जाती व्यवस्था
मिनी पितृ पक्ष मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के रहने-खाने की व्यवस्था उनके पंडा पुरोहित द्वारा की जाती है. प्रशासनिक स्तर पर इस मेले में श्रद्धालुओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जाती है. वहीं, बेहतर सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रबंधन समिति की ओर से इस मेले में सुरक्षा गार्डों की संख्या बढ़ा दी जाती है. सामान्य दिनों में यह संख्या आठ रहती है. मिनी पितृ पक्ष मेले में जरूरत के हिसाब से सुरक्षा गार्डों की संख्या बढ़ा दी जाती है. साथ ही जिला और पुलिस प्रशासन का भी सहयोग लिया जाता है.
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