मिनी पितृपक्ष: पहले दिन 2000 श्रद्धालु पहुंचे मोक्षधाम, गंगासागर स्नान से पहले पितरों को करते हैं पिंडदान
पंडा समाज की मानें, तो एक माह तक चलने वाले इस मिनी पितृपक्ष मेले में इस बार तीन लाख तक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है. मकर संक्रांति की तिथि से करीब एक पखवारे पहले काफी संख्या में श्रद्धालुओं का आना होता रहा है.
गया. पौष मास में 15 दिसंबर से शुरू एक माह तक चलने वाले मिनी पितृपक्ष मेले के पहले दिन गुरुवार को देश के अलग-अलग राज्यों से करीब दो हजार श्रद्धालु मोक्षधाम गयाजी पहुंचे. इनमें से अधिकतर श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर देवघाट, फल्गु नदी, विष्णुपद, अक्षयवट व अन्य वेदी स्थलों पर अपने कुल पंडा के निर्देशन में पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण किया.
श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य सह गयापाल तीर्थवृति सुधारिणी सभा के मंत्री मणिलाल बारिक ने बताया कि पहले दिन पिंडदान करने वाले श्रद्धालुओं में सबसे अधिक राजस्थान, महाराष्ट्र व हिमाचल प्रदेश के शामिल थे. अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं की संख्या नहीं के बराबर थी.
तीन लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद
पंडा समाज की मानें, तो एक माह तक चलने वाले इस मिनी पितृपक्ष मेले में इस बार तीन लाख तक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है. मकर संक्रांति की तिथि से करीब एक पखवारे पहले काफी संख्या में श्रद्धालुओं का आना होता रहा है. इस बार भी कुछ इसी तरह की उम्मीद की जा रही है.
सुविधाओं के लिए डीएम को दिया गया ज्ञापन
मिनी पितृपक्ष मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना को लेकर श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के द्वारा मेला क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की मांग को लेकर डीएम को ज्ञापन दिया गया है. समिति द्वारा डीएम से श्रद्धालुओं की समुचित सुरक्षा व्यवस्था के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की मेला क्षेत्र में प्रतिनियुक्ति, स्वास्थ्य शिविर, सफाई की उचित व्यवस्था करने, खराब स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत कराने व आने वाले यात्रियों के वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था कराने की मांग की गयी है.
गंगासागर स्नान से पहले गयाजी आकर श्रद्धालु पितरों को करते हैं पिंडदान
श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य मणिलाल बारिक ने बताया कि पौष मास में गंगासागर मेले में लाखों तीर्थयात्री गयाजी अपने पूर्वजों का पिंडदान करने आते हैं. क्योंकि गंगासागर जाने के मार्ग में गयाजी पड़ता है. इसलिए यात्री गयाजी रुक कर यहां एक या तीन दिन दिन के लिए गयाजी विश्राम करते हैं. इस दौरान पितरों को पिंडदान भी करते हैं.