बोधगया. ज्ञानस्थली महाबोधि मंदिर में आयोजित 17वां इंटरनेशनल त्रिपिटक चैंटिंग में एक साथ 10 से ज्यादा देशों के बौद्ध भिक्षु, भिक्षुणी व श्रद्धालु पहुंचे है. सभी सुत्त पिटक का पाठ कर रहे हैं. श्रद्धालु अलग-अलग वेश-भूषा में विभिन्न भाषाओं होने के बाद भी सभी पालि भाषा में चैंटिंग कर रहे हैं. चैंटिंग समारोह के पांचवें दिन वियतनाम व थाइलैंड से यहां पहुंचे बौद्ध श्रद्धालुओं ने रौनक बढ़ा दी है. इन दिनों महाबोधि मंदिर परिसर व बाहरी क्षेत्र विभिन्न देशों के बौद्ध श्रद्धालुओं की आवाजाही से गुलजार हो रहा है. विभिन्न देशों के श्रद्धालुओं के पोशाक अलग होती हैं और उनकी मातृभाषा भी भिन्न होती है. इसके बावजूद भी त्रिपिटक चैंटिंग समारोह में शामिल सभी श्रद्धालु पालि भाषा में ही उच्चारण कर रहे हैं.
यह इस चैंटिंग की एक खासियत भी है. बौद्ध श्रद्धालुओं द्वारा यहां अर्पित किये जा रहे. विभिन्न किस्मों के फूलों की महक से मंदिर परिसर खुशनुमा बना हुआ है. फूलों से की गयी सजावट भी मंदिर परिसर को आकर्षित बना रहे हैं. जानकारी के अनुसार 10 दिवसीय त्रिपिटक चैंटिंग समारोह में बांग्लादेश, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, इंडोनेशिया, भारत, नेपाल, म्यांमार, थाइलैंड, श्रीलंका व वियतनाम के करीब चार हजार भिक्षु व श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं. चैंटिंग समारोह का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दो दिसंबर को किया था.
अगहन पूर्णिमा के अवसर पर फल्गु नदी के पश्चिमी तट स्थित देवघाट पर फल्गु सेवा समिति द्वारा आठ दिसंबर को फल्गु महाआरती का आयोजन किया जायेगा. यह जानकारी समिति के जिला मीडिया प्रभारी छोटू बारिक ने दी. उन्होंने बताया कि इस मौके पर विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह स्थित भगवान श्री विष्णु चरण की विशेष पूजा-अर्चना आरती के बाद उनका भव्य श्रृंगार भी किया जायेगा.
मार्गशीर्ष पर सात दिसंबर को फल्गु नदी के पश्चिमी तट स्थित राय बिंदेश्वरी घाट पर प्रतिज्ञा संस्था द्वारा फल्गु महाआरती का आयोजन किया जायेगा. यह जानकारी संस्था के अध्यक्ष बृजनंदन पाठक ने दी. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को लेकर घाट व आसपास के क्षेत्रों की साफ-सफाई करायी जा रही है, इसके बाद फूल-मालाओं व बल्बों से सजाया जायेगा.